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By Chandan Kr Sah
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Ohh !
Someone told me it's Men's Day today !
????????
अब ना कीजियेगा शिकवा मेरी खामोशी का हसरत
जो आखिरी दफा पुकारा था वो आपका ही नाम था ।
हसरत?
What you expect me to say when all I have is abundance of nothingness.
Hasrat?
हर इक पल मौत को मनाया उस ने
हयात का मातम भी मनाया उस ने
ज़र्फ़ ने तो पहले ही ठुकरा दिया था
नाकामियों को फिर भी सताया उस ने
हर महफ़िल में रहा था शमा की तरह
पूछने पर तीरगी को घर बताया उस ने
थोड़ा सहम गए थे अब हादसे भी उस से
एहसान सांसों पर हर दफा जताया उस ने
क्या ही जलाएंगे वो खाक को हसरत
हर सांस को इस तरह खाक बताया उस ने ।।
हसरत?
हयात - जीवन ( Life )
ज़र्फ़ - योग्यता( Competent)
शमा - दिया ( Lamp)
तीरगी - अंधेरा ( Darkness )
खाक - धूल ( Dust )
तेरी हथेली पर रखी मेरी उंगलियों की पोर
कुरेदती हैं तेरे दिल तक जाने वाली नसों का रास्ता ।
हसरत?
उस की इनायत का भी एहतराम रखता हूं
अपने लब होले से उस के हाथ पर रखता हूं ।
हसरत?
घर - वनवास
भाग १
कुछ आठ महीने बाद घर पहुँचा था रविन्द्र !
तड़के आया था तो आकर सीधा सो गया था, जब उठा तो घर में त्योहार के काम-काज में लगी हुई मां,इधर उधर हुए जा रही थी, पापा अखबार में व्यस्त थे और छोटा भाई अब भी सो रहा था।
जब वो सीढ़ियों से नीचे आ रहा था पड़ोस के घर में नजर डाली, मानों आँखें मुआयना कर रही हो की क्या क्या बदला है इतने दिनों में और यकीनन 15 सीढ़ियों का सफर काफी नहीं था उस बदलाव को पढ़ पाने के लिए उसे।
पर फिर भी उस की नजर जितना देख पाई वो एक खाली जगह उस की आंखों में भर गई, उस के जहन में वो स्थान आखिरी बार कब रिक्त था उसे याद नहीं, वो लगातार अपनी यादाश्त में कुछ खोज रहा था, पुरजोर कोशिश के बाद भी उसे वह स्थान आखिरी बार कब खाली मिला था इन 15 सीढ़ियों के सफर में दिन के इस पहर में उसे याद नहीं आया।
"मम्मी, यह पड़ोस वाली अम्मा कहां है? दिखी नहीं!"
इंसान परिवर्तन को अपनी आंखों से देखता है तो वह उसे जी रहा होता है लेकिन अगर उसे किसी परिवर्तन को आत्मसात करने के लिए कहा जाए तो वह उस में अपने पुराने निशान ढूंढता है।
"अम्मा तो अभी राखी पर चल बसी, उम्र हो गई थी उन की, देखने वाला भी कोई नहीं था।"
मां बड़े सहज ही बोल गई और रविन्द्र को भी शायद कोई खासा फर्क नहीं पड़ा, उस के एहसास अम्मा से बस राम -राम तक ही तो जुड़े थे, हाँ जो कुछ उसे थोड़ा बहुत तंग कर रहा था, वह खाली स्थान, जो उस की आंखों में चुभ रहा था।
'सुनिए जी'! मां ने आवाज लगाई,
'यह ऊपर से ओवन उतर देंगे, आज बाटि बना लेते हैं।'
पापा बड़ी सहजता से उठे और जाने लगे! रविन्द्र को एक धक्का सा लगा, उसे याद नहीं कि कब आखिरी बार दोनों भाइयों के होते हुए पापा को उठ कर जाना पड़ा हो, उन्होंने ओवन की बाटियों का कोई विरोध भी नहीं किया, कंडे की बाटी का कोई जिक्र नहीं किया।
रविन्द्र समझ नहीं पा रहा था कि यह उन की अनुपस्थिति ने उस के माता पिता को आत्मनिर्भर बना दिया है या लाचार :
अगले पल जब उसने पापा को किचन प्लेटफॉर्म पर चढ़ कर हाथ ऊपर कर के ओवन उतारते हुए देखा तो उस की सोच थम गई, वह भी थम गया :
उस की पूरी जवानी हताहत हो गई उस एक लम्हे में!
जब पापा ने हाथ ऊपर बढ़ाया तो उन की बाजूएं झूल चुकी है, चमड़ी हड्डियों पर तैर रही थी: निसंदेह यह एक दिन में नहीं हुआ होगा लेकिन अपने पिता के बूढ़े होने का एहसास उस की जवानी छीन रहा था उससे।
वह समझने की कोशिश कर रहा था कि जितने वक्त वह घर से दूर था तब क्या जिंदगी दोगुनी तेजी से चल रही थी ?
अपने बच्चों का साथ नहीं होने का एहसास उन्हें ज्यादा जल्दी वृद्ध बना रहा था?
बैसाखी से चलने वाले से अगर बैसाखी छीन ली जाए तो वह गिर पड़ता है और व्हीलचेयर पर आ जाता है या फिर कोई चमत्कार हो जाए तो अपने पैरों पर:
रविन्द्र के लिए शायद इतना मुश्किल नहीं था समझना कि पापा की उम्र पैरों पर खड़े होने वाली तो नहीं है !
हसरत इक तेरा ख़्याल है के जाता नहीं है
जमाना कहता है मुझे जीना आता नहीं है ।
हसरत?
If anyone ask you about my identity behind my back through my words, write-ups or anything I ever said ( on live or maybe in person), how will you introduce me to them ?
Hasrat ?
जिस रख को यह हवा उड़ा ले जा रही थी
राख से पहले लाश थी
लाश से पहले हताश थी
हताश से पहले आस थी
आस से पहले सांस थी
सांस जो हवाओं को उड़ा ले जा रही थी !!
हसरत?
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