Alfaz (अल्फ़ाज़) By सुरभि ✍️

Description
If a writer falls in love with you,you can never die. #Unknown#

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Last updated 6 days, 18 hours ago

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3 months, 2 weeks ago

**INNER SCREAMS

I scream in the dark,
in between four walls,
because of my deep scars.
i Skreched myself rough,
because the time was tough.
my body was shaking,
because I was freaking,
in the night of loneliness,
my thoughts didn't stop.
I was wiping water drops,
that are falling from my eye,
and slowly making them dry.
my soul screams every night,
and because of that i damaged my sight.
My heart crumbled,
sorry! it was my blunder,
to love, to care.
here i scream, i scream because of pain ,
scream of fear,
scream of failure.
i became so loud,
but my screams are always unnoticed.
so I left the crowd,
in the search of a peaceful zone,
realising that i should be alone,
to make myself more strong,
like a stiff stone.
because I have no one to tell,
I scream in the dark, because of my deep scars.#Ayushi Jangde**#poetry

This poetry has been written by one of my students from DAVMMPS Pali. Thanks to send this poetry to me.Just want to tell you that I'm proud of you....God bless you bachcha 🙌

3 months, 2 weeks ago
Bappa in our school ***🙏***

Bappa in our school 🙏

3 months, 3 weeks ago

**एक संवाद संग तुम्हारे तो मैं भी चाहता हूं..
मेरी कविताओं में जो झलकती थी झलक तुम्हारी,
तुम उस पर जो बड़े रौब से इतराया करती थी
वो इतराना तुम्हारा तो मैं भी चाहता हूं।।
तुम्हारे मना करने पर भी,
जो मेरा लाया वो झुमका बड़े गुस्से में पहनती थी,
तुम्हारा वो गुस्सा तो मैं भी चाहता हूं।।
अक्सर ये सोच के मेरा दिल बैठ सा जाता है
मन विरह की आग में झुलस सा जाता है,
वो अकेले मुझे भी रास नहीं आती है अब
मैं भी संग तुम्हारे वो अदरक इलायची वाली चाय चाहता हूं।।
खैर सुनो छोरो ये सारे बहाने इशारे ...
अब कोई नया बहाना नहीं..
बस ताउम्र तुम्हारा साथ चाहता हूॅं।

-लफ़्ज-ए-प्रशान्त✍🏻

🖊️𝒦𝒶𝓁𝒶𝓂-𝒜𝑒-𝐼𝓈𝒽𝓀 🖊️**

Reply from Prashant Sir....

6 months ago

**इतने failures के बाद भी अगर तुमने हार नहीं मानी है न,

तो ख़ुद के लिए तालियां ज़रूर बजाना,क्योंकि एक वक्त के बाद तुम्हें हारा हुआ जानकर कोई तुम्हारे लिए तालियां नहीं बजाएगा,कोई तुम्हारा हौसला नहीं बढ़ाएगा।

स्वयं को प्रेरित करो,स्वयं से प्यार करो,ये तुम्हें स्वार्थी नहीं तुम्हें मजबूत बनाता है।

S✍?**

6 months, 4 weeks ago

# हरिवंश राय बच्चन

जो बीत गई सो बात गई

जीवन में एक सितारा था
माना वह बेहद प्यारा था
वह डूब गया तो डूब गया
अम्बर के आनन को देखो
कितने इसके तारे टूटे
कितने इसके प्यारे छूटे
जो छूट गए फिर कहाँ मिले
पर बोलो टूटे तारों पर
कब अम्बर शोक मनाता है
जो बीत गई सो बात गई

जीवन में वह था एक कुसुम
थे उसपर नित्य निछावर तुम
वह सूख गया तो सूख गया
मधुवन की छाती को देखो
सूखी कितनी इसकी कलियाँ
मुर्झाई कितनी वल्लरियाँ
जो मुर्झाई फिर कहाँ खिली
पर बोलो सूखे फूलों पर
कब मधुवन शोर मचाता है
जो बीत गई सो बात गई

जीवन में मधु का प्याला था
तुमने तन मन दे डाला था
वह टूट गया तो टूट गया
मदिरालय का आँगन देखो
कितने प्याले हिल जाते हैं
गिर मिट्टी में मिल जाते हैं
जो गिरते हैं कब उठतें हैं
पर बोलो टूटे प्यालों पर
कब मदिरालय पछताता है
जो बीत गई सो बात गई

मृदु मिटटी के हैं बने हुए
मधु घट फूटा ही करते हैं
लघु जीवन लेकर आए हैं
प्याले टूटा ही करते हैं
फिर भी मदिरालय के अन्दर 
मधु के घट हैं मधु प्याले हैं
जो मादकता के मारे हैं
वे मधु लूटा ही करते हैं
वह कच्चा पीने वाला है
जिसकी ममता घट प्यालों पर
जो सच्चे मधु से जला हुआ
कब रोता है चिल्लाता है

जो बीत गई सो बात गई

7 months ago

मेरी तमाम चाहतों का बस एक सबब है वो,
तुम कैसे कहते हो उसे भूल जाऊं!

?~Abhi

7 months, 2 weeks ago

माँ❤️

बाजरों में घूमते हुए एक कोने पर नज़र मेरी पड़ी।
उदासियों से तपी हुई धूप में एक बूढ़ी माँ थी खड़ी।
नज़र पड़ी, मेरे हाथ पर मेरी,दोपहर दो बजा रही थी घड़ी।
मैं जा पहुँचा वहीं समीप,जहां वो बूढ़ी मां थी खड़ी।
कहने लगी मुझसे वो माँ, जीवन मे है संकट की घड़ी।
बेटी थी मैं कभी अपने घर की सबसे बड़ी।
मैंने कहा आइए आपको सड़क उस पार कर देता हूँ।
मग़र वो वही खड़े रहने की ज़िद पर थी अड़ी।
हर रोज़ उस समय, बेटा उसका वहाँ से है गुजरता।
उसे देखने हर रोज़, वो माँ होती है वहाँ खड़ी।

खुशियों का देहांत करके उदासियों में एक माँ अपने बच्चों के लिए वहां खड़ी।
मेरी आँखों ने नमी भरी और महससू किया क्यों होती है माँ इस जगत में सबसे बड़ी!

~Abhiwrites

7 months, 3 weeks ago

ये किताबों के किस्से, ये फसानो की बातें,
निगाहों की झिलमिल जुदाई की रातें..
मोहब्बत की कसमें, निभाने के वादे,
ये धोखा वफ़ा का, ये झूठे इरादे..
ये बातें किताबी, ये नज्में पुरानी,
ना इन्की हकीक़त, ना इनकी कहानी..
न लिखना इन्हें, ना महफूज़ करना,
ये जज्बे हैं बस, इनको महसूस करना..!

7 months, 3 weeks ago

कहीं तुम भी न बन जाना किरदार किसी किताब का..
लोग बड़े शौक से पढ़ते है कहानियां जाने वालों की..!

~❤️
सुप्रभात

9 months, 3 weeks ago

एक शाम मै औऱ ज़िंदगी उलझ बैठे।

ज़िंदगी जीने की ख्वाइश बताती रही, हम मोहब्बत के तमाशों में उलझ बैठे।

बस वो रुकने का नाम नहीं लेती, हम बेवजह के ठहराव में टूट उलझ बैठे।

ज़िक्र उसकी अदाओं का कुछ यूं हुआ,संभलते सम्भलते आशिक़ी में ख़ुद उलझ बैठे।

हर रोज़ तुझे नया पाता हूँ, बाबत महबूब की पुरानी तस्वीर में उलझ बैठे।

चाहता मैं भी था तुझे अपनाना, दफा एक उसने जुल्फ़े झटकी हम उलझ बैठे।

~Abhiwrites

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