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भी बांधी जाती है। इसमें संकल्प निहित होता है।
मौली बांधकर किए गए संकल्प का उल्लंघन करना अनुचित और संकट में डालने वाला सिद्ध हो सकता है। यदि आपने किसी देवी या देवता के नाम की यह मौली बांधी है तो उसकी पवित्रता का ध्यान रखना भी जरूरी हो जाता है। कमर पर बांधी गई मौली के संबंध में विद्वान लोग कहते हैं कि इससे सूक्ष्म शरीर स्थिर रहता है और कोई दूसरी बुरी आत्मा आपके शरीर में प्रवेश नहीं कर सकती है। बच्चों को अक्सर कमर में मौली बांधी जाती है। यह काला धागा भी होता है। इससे पेट में किसी भी प्रकार के रोग नहीं होते।
चिकित्सीय पक्ष ,,,,प्राचीनकाल से ही कलाई, पैर, कमर और गले में भी मौली बांधे जाने की परंपरा के चिकित्सीय लाभ भी हैं। शरीर विज्ञान के अनुसार इससे त्रिदोष अर्थात वात, पित्त और कफ का संतुलन बना रहता है। पुराने वैद्य और घर-परिवार के बुजुर्ग लोग हाथ, कमर, गले व पैर के अंगूठे में मौली का उपयोग करते थे, जो शरीर के लिए लाभकारी था। ब्लड प्रेशर, हार्टअटैक, डायबिटीज और लकवा जैसे रोगों से बचाव के लिए मौली बांधना हितकर बताया गया है।
हाथ में बांधे जाने का लाभ ,,, शरीर की संरचना का प्रमुख नियंत्रण हाथ की कलाई में होता है अतः यहां मौली बांधने से व्यक्ति स्वस्थ रहता है। उसकी ऊर्जा का ज्यादा क्षय नहीं होता है। शरीर विज्ञान के अनुसार शरीर के कई प्रमुख अंगों तक पहुंचने वाली नसें कलाई से होकर गुजरती हैं। कलाई पर कलावा बांधने से इन नसों की क्रिया नियंत्रित रहती है।
कमर पर बांधी गई मौली के संबंध में विद्वान लोग कहते हैं कि इससे सूक्ष्म शरीर स्थिर रहता है और कोई दूसरी बुरी आत्मा आपके शरीर में प्रवेश नहीं कर सकती है। बच्चों को अक्सर कमर में मौली बांधी जाती है। यह काला धागा भी होता है। इससे पेट में किसी भी प्रकार के रोग नहीं होते।
मनोवैज्ञानिक लाभ ,,,,मौली बांधने से उसके पवित्र और शक्तिशाली बंधन होने का अहसास होता रहता है और इससे मन में शांति और पवित्रता बनी रहती है। व्यक्ति के मन और मस्तिष्क में बुरे विचार नहीं आते और वह गलत रास्तों पर नहीं भटकता है। कई मौकों पर इससे व्यक्ति गलत कार्य करने से बच जाता है।
साभार
मित्रों आज हम आपको मौली या कलावा का महत्व प्रस्तुत प्रस्तुति में बतायेगें!!!!!
मौली बांधना वैदिक परंपरा का हिस्सा है। यज्ञ के दौरान इसे बांधे जाने की परंपरा तो पहले से ही रही है, लेकिन इसको संकल्प सूत्र के साथ ही रक्षा-सूत्र के रूप में तब से बांधा जाने लगा, जबसे असुरों के दानवीर राजा बलि की अमरता के लिए भगवान वामन ने उनकी कलाई पर रक्षा-सूत्र बांधा था।
इसे रक्षाबंधन का भी प्रतीक माना जाता है, जबकि देवी लक्ष्मी ने राजा बलि के हाथों में अपने पति की रक्षा के लिए यह बंधन बांधा था। मौली को हर हिन्दू बांधता है। इसे मूलत: रक्षा सूत्र कहते हैं।
मौली का अर्थ ,,,,,मौली' का शाब्दिक अर्थ है 'सबसे ऊपर'। मौली का तात्पर्य सिर से भी है। मौली को कलाई में बांधने के कारण इसे कलावा भी कहते हैं। इसका वैदिक नाम उप मणिबंध भी है। मौली के भी प्रकार हैं। शंकर भगवान के सिर पर चन्द्रमा विराजमान है इसीलिए उन्हें चंद्रमौली भी कहा जाता है।
कैसी होती है मौली?
मौली कच्चे धागे (सूत) से बनाई जाती है जिसमें मूलत: 3 रंग के धागे होते हैं- लाल, पीला और हरा, लेकिन कभी-कभी यह 5 धागों की भी बनती है जिसमें नीला और सफेद भी होता है। 3 और 5 का मतलब कभी त्रिदेव के नाम की, तो कभी पंचदेव।
कहां-कहां बांधते हैं मौली?
मौली को हाथ की कलाई, गले और कमर में बांधा जाता है। इसके अलावा मन्नत के लिए किसी देवी-देवता के स्थान पर भी बांधा जाता है और जब मन्नत पूरी हो जाती है तो इसे खोल दिया जाता है। इसे घर में लाई गई नई वस्तु को भी बांधा जाता और इसे पशुओं को भी बांधा जाता है।
मौली बांधने के नियम ,,,,,शास्त्रों के अनुसार पुरुषों एवं अविवाहित कन्याओं को दाएं हाथ में कलावा बांधना चाहिए। विवाहित स्त्रियों के लिए बाएं हाथ में कलावा बांधने का नियम है। कलावा बंधवाते समय जिस हाथ में कलावा बंधवा रहे हों, उसकी मुट्ठी बंधी होनी चाहिए और दूसरा हाथ सिर पर होना चाहिए। मौली कहीं पर भी बांधें, एक बात का हमेशा ध्यान रहे कि इस सूत्र को केवल 3 बार ही लपेटना चाहिए व इसके बांधने में वैदिक विधि का प्रयोग करना चाहिए।
कब बांधी जाती है मौली?
पर्व-त्योहार के अलावा किसी अन्य दिन कलावा बांधने के लिए मंगलवार और शनिवार का दिन शुभ माना जाता है। हर मंगलवार और शनिवार को पुरानी मौली को उतारकर नई मौली बांधना उचित माना गया है। उतारी हुई पुरानी मौली को पीपल के वृक्ष के पास रख दें या किसी बहते हुए जल में बहा दें। प्रतिवर्ष की संक्रांति के दिन, यज्ञ की शुरुआत में, कोई इच्छित कार्य के प्रारंभ में, मांगलिक कार्य, विवाह आदि हिन्दू संस्कारों के दौरान मौली बांधी जाती है।
क्यों बांधते हैं मौली?
मौली को धार्मिक आस्था का प्रतीक माना जाता है। किसी अच्छे कार्य की शुरुआत में संकल्प के लिए भी बांधते हैं। किसी देवी या देवता के मंदिर में मन्नत के लिए भी बांधते हैं।
मौली बांधने के 3 कारण हैं- पहला आध्यात्मिक, दूसरा चिकित्सीय और तीसरा मनोवैज्ञानिक। किसी भी शुभ कार्य की शुरुआत करते समय या नई वस्तु खरीदने पर हम उसे मौली बांधते हैं ताकि वह हमारे जीवन में शुभता प्रदान करे। हिन्दू धर्म में प्रत्येक धार्मिक कर्म यानी पूजा-पाठ, उद्घाटन, यज्ञ, हवन, संस्कार आदि के पूर्व पुरोहितों द्वारा यजमान के दाएं हाथ में मौली बांधी जाती है। इसके अलावा पालतू पशुओं में हमारे गाय, बैल और भैंस को भी पड़वा, गोवर्धन और होली के दिन मौली बांधी जाती है।
मौली करती है रक्षा ,,,,मौली को कलाई में बांधने पर कलावा या उप मणिबंध करते हैं। हाथ के मूल में 3 रेखाएं होती हैं जिनको मणिबंध कहते हैं। भाग्य व जीवनरेखा का उद्गम स्थल भी मणिबंध ही है। इन तीनों रेखाओं में दैहिक, दैविक व भौतिक जैसे त्रिविध तापों को देने व मुक्त करने की शक्ति रहती है।
इन मणिबंधों के नाम शिव, विष्णु व ब्रह्मा हैं। इसी तरह शक्ति, लक्ष्मी व सरस्वती का भी यहां साक्षात वास रहता है। जब हम कलावा का मंत्र रक्षा हेतु पढ़कर कलाई में बांधते हैं तो यह तीन धागों का सूत्र त्रिदेवों व त्रिशक्तियों को समर्पित हो जाता है जिससे रक्षा-सूत्र धारण करने वाले प्राणी की सब प्रकार से रक्षा होती है। इस रक्षा-सूत्र को संकल्पपूर्वक बांधने से व्यक्ति पर मारण, मोहन, विद्वेषण, उच्चाटन, भूत-प्रेत और जादू-टोने का असर नहीं होता।
आध्यात्मिक पक्ष ,,,,शास्त्रों का ऐसा मत है कि मौली बांधने से त्रिदेव- ब्रह्मा, विष्णु व महेश तथा तीनों देवियों- लक्ष्मी, पार्वती व सरस्वती की कृपा प्राप्त होती है। ब्रह्मा की कृपा से कीर्ति, विष्णु की कृपा से रक्षा तथा शिव की कृपा से दुर्गुणों का नाश होता है। इसी प्रकार लक्ष्मी से धन, दुर्गा से शक्ति एवं सरस्वती की कृपा से बुद्धि प्राप्त होती है। यह मौली किसी देवी या देवता के नाम पर भी बांधी जाती है जिससे संकटों और विपत्तियों से व्यक्ति की रक्षा होती है। यह मंदिरों में मन्नत के लिए
मैंने पड़ोस में "टूरिस्ट_एंड_ट्रेवल" वाले सरदार जी को फोन करके चार दिन बाद एक सात सीटर गाड़ी तीन दिन के लिए यात्रा के लिए बुक कराई और डाईवर का नाम पूछा।
जिस पर सरदार जी ने बोला कि एक-दो दिन में अवगत करा देंगे।
कुछ समय उपरांत मैंने फिर सरदार जी को फोन किया और कहा कि परिवार को जाना है। अतः ड्राइवर ऐसा भेजना जिससे परिवार सुरक्षित महसूस करे। सरदार जी ने कहा कि आप चिंता न करो।
दूसरे दिन पुनः सरदार जी को फोन किया कि ड्राइवर_का _नाम बता दो, मुझे उसका नाम चाहिए जो मेरे परिवार के साथ तीन दिन रहेगा। मैं किसी भी ऐसे व्यक्ति को अपने परिवार के साथ नहीं भेज सकता, जिससे मेरे परिवार की सुरक्षा को खतरा हो।
सरदार जी समझ गये। उन्होंने कहा कि थोड़ी देर में नाम बता दूँगा, फिर शाम को मैंने फोन किया तो उन्होंने कहा कि 'मुन्ना' आयेगा। जिस पर मैंने सरदार जी को कहा कि ड्राइवर का नम्बर भेज दो। उन्होंने मुन्ना का नम्बर भेज दिया पर मैं मुन्ना का नाम सुन कर आशंकित हो उठा।
मैंने मुन्ना का नम्बर सेव (सुरक्षित) किया, तो उसकी व्हाट्सएप पर 'राधा_कृष्ण' की फोटो थी और कॉल किया तो "आप की कृपा से मेरा हर काम हो रहा है" कि कॉलरटयून लगी हुई थी, उसने फोन उठाया कि वह ड्राइव कर रहा था।
मैंने उसे कहा कि आपकी गाड़ी से मेरा परिवार शनिवार को हिमाचल जा रहा है, तो उसने कहा कि हां, जी ठीक है। तब मैंने उससे पूछा कि आपका नाम क्या है, तो उसने बोला - 'मुन्ना'। तब मैंने कहा कि आपका पूरा नाम क्या है?, तो उसने कहा - 'मुन्ना_लाल'।
तब मैंने कहा कि अपना आधार_कार्ड और ड्राइविंग_लाइसेंस मेरे को व्हाट्सएप कर दे।
उसने कहा कि ड्राईव कर रहा हूँ, शाम_को_भेज दूँगा।
मैं रात तक इंतजार करता रहा मगर उसने 'कागज' व्हाट्सएप नहीं किये।
मैंने अगले दिन टैक्सी_सर्विस वाले सरदार जी को फोन किया तो उन्होंने कहा कि अब 'मुन्ना_नहीं_आयेगा, दूसरा ड्राइवर आयेगा - 'सुरिन्दर'।
मैंने सरदार जी को कहा कि उसके आधार कार्ड और ड्राइविंग लाइसेंस व्हाट्सएप पर भेज दो। सरदार जी ने तत्काल सुरिन्दर के 'कागज' व्हाट्सएप कर दिये।
मैंने सरदार जी को फोन कर के कहा कि आगे से जब भी गाड़ी बुक करूँ, तो मेरे पास कभी किसी मुन्ना, पप्पू, राजू, बिट्टू, नन्हे, कालू, बिल्लू, छोटू, चिन्टू, पिन्टू, मिन्टू व मोंटू आदि को नहीं भेजना।
उन्होंने धीरे से कहा, मैं आपकी_बात_समझ गया हूँ, आप निश्चिंत रहें। अब आपके पास सुरिन्दर, गुरविंदर, महेश, संजय, पाण्डेय, शुक्ला आदि में से ही कोई आया करेगा।
यह_एक_छोट_सा_प्रयास_है, करके देखिए!
ट्रेवल एजेंसियों, टैक्सी सर्विस, व्यापारियों, दुकानदारों, शोरूम, रेस्टोरेंट, ढाबे वालों, ड्राई क्लीनिंग, इंटीरियर, कारपेंटर, वर्कशॉप, इलेक्ट्रिशियन, प्लम्बर, सर्विस सेंटर, कुरियर कम्पनियों, पैकेजिंग कम्पनियों, फूड कम्पनियों आदि पर दबाव बनेगा और बनवाना होगा ताकि वृहत्तर समाज में एकजुटता व समरसता पैदा हो कर हम सनातनी आर्थिक उन्नति के पथ पर अग्रसर हो सकें।
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अनिरुद्धाचार्य जी जैसे कथावाचक भी इतनी बडी बात बोल दे तो समझना चाहिए की मामला गंभीर होने वाला है। इतने लोग समझा रहे हैं हिंदूओं को ताकि हिन्दू जाग जाए।
आप भी एक छोटी कोशिश करें, अपने सगे संबंधियों और दोस्तों को यह विडियो शेअर करके ।
"कश्मीरी कांग्रेस के नेता":- "सैफुद्दीन सोज़" ने:- "भारतीय मुस्लिमों" को -"मूर्ख" कहते हुए कहा था .. कि :-
तुमने - "एक फूटी लावारिस बाबरी मस्जिद" के लिये ,"भारत के सोये हुए और बिखरे हुए हिन्दूओं को जगा दिया"..
जबकि :- "भारत में 3 लाख से अधिक मस्जिदें बन गयीं", तब -"हिन्दू सोया हुआ था"।
एक "मस्जिद" के लिये, "बिखरे ,सोये, हिन्दुओं" को:- "एक " कर दिया ..."भारत के मुस्लिमों ने "...
जबकि :- सिर्फ -"एक पायदान" और बचा था .. "हिंदुस्तान पर हुकूमत के लिये"..
"मुसलमान गृहमंत्री" तो बन ही चुका था,... बस - "सिर्फ मुसलमान का प्रधानमंत्री" बनना बाकी रह गया था। फिर :- "सारा हिंदुस्तान" हमारे "कब्जे" में होता। पर :- "भारतीय मुस्लिमों" ने:- "अपनी मूर्खता" के कारण...., "एक मस्जिद के लिये"- "भारत पर कब्जा करने की सारे प्लानिंग", "बर्बाद" कर दी। अब, "हिन्दुओं को बाजी पलटने से कोई नहीं रोक पायेगा.., "हिन्दुओं को जाग्रत" होने का "मौका" मिल गया है l और अब- "कोई मुस्लिम"- न गृहमंत्री बन पायेगा.. और ...न ही, "प्रधानमंत्री"। अब -"भारत" फिर से -"हिन्दुओं के हाथों में जाता दिख रहा है"। और ...,"वाकई":- "सैफुद्दीन सोज़" की बात -"सही भी निकली"..l "अयोध्या आंदोलन" ने -"सदियों से सोये हिन्दुओं" को -"पुनः जाग्रत किया"...l और -"आज" जो भी, "सामाजिक राजनीतिक परिवर्तन" दिख रहा है उसमें -"अयोध्या आंदोलन की भूमिका"- "ऐतिहासिक" रही।
जातियों, आपसी मसलों, स्वार्थों, में उलझा हुआ "हिन्दू" एक हजार साल के, 'इस्लामी काल" में नहीं जागा... "वही हिन्दू " "अयोध्या आंदोलन" के बाद," जाग" गया।
इसीलिये :- "वाकई में सदियों से सुप्त पड़े हिन्दू के स्वाभिमानी शौर्य" के -"जागरण का केंद्र बन गया अयोध्या आंदोलन"।
*👉 कृपया मैसेज सबको भेजना ही चाहिए आजकल सोसल मीडिया भी लोगों को जागरूक बनाने में सहयोग कर रहा है यह तो राष्ट्र की ओर देश हित की बात है
जय श्री राम 🙏*🚩🚩🌹🌹
योगी जी कंटेनर का कंटेनर तेल भड़के दिए जलवा रहे हैं।
I.N.D.I. गठबंधन वाले हिंदू और मुसलमान को भेज कर बाल्टी का बाल्टी तेल लुटवा रहे हैं।
हिंदू धर्म का अपमान करवा रहे हैं..?
ये कितनी शर्मनाक और शोचनीय है कि अयोध्या तट पर जलते दीयों से मुस्लिम यदि तेल निकाल रहे तो इस पाप में देखा देखी हिंदू भी सक्रिय हैं।
बेहद अफसोसजनक 😇 मेरे तो आंसू निकल रहे हैं😥
दिवाली उत्सव की यह तस्वीर लाल चौक श्रीनगर की है।
यह मनोहरी दृश्य भारत के उज्ज्वल भविष्य की रोशनी है।
क्यों है बॉलीवुड को हिंदूओ से इतनी घृणा ?
कौन है Hinduphobic स्क्रिप्ट राइटर ?
क्या है स्क्रिप्ट जिहाद ?
देखिए ज़ी न्यूज़ की ये खबर
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