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राष्ट्र एवं भारतीय संस्कृति पर हो रहे आघातों पर भारतीयों की आवाज बुलंद करने का अचूक माध्यम !!
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1 year, 9 months ago
ओजस्वी भारत
1 year, 9 months ago

?सुरेश जी ने आगे कहा कि मैं दावा करता हूं कि आने वाले दिनों में हिंदुस्तान को और न्यायपालिका को पछतावा करना पड़ेगा कि दोनों ने जो बापू आसारामजी पर अत्याचार किये वो कितने गलत थे ।

?न्यापालिका बिकती है

?बापू आसारामजी जी हमारे लिए पवित्र थे, हैं और रहेंगे और हम यह केवल मैं आप लोगों के सामने नहीं कहता हूँ बल्कि मैं आप लोगों के सामने कम बोलता हूँ चैनल पर इससे ज्यादा बोलता हूँ। इस देश में न्यायपालिकाएं बिकती हैं प्रभावित होती है यह मैं पहले भी कह चुका हूँ आगे भी कहता हूँ कैमरे पे कहता हूँ क्योंकि मुझे ये कहने में डर नहीं हैं,खुद न्यायपालिका के अंदर के ही सिस्टम के अंदर के जज से लेकर मजिस्ट्रेट वकील इस बात को दोहरा चुके हैं इसलिए इन व्यवस्थाओं से बहुत ज्यादा भरोसा करने की जरूरत नहीं है।

?दिव्य शक्ति की इच्छा से नव हिंदुस्तान का निर्मित

?सुरेश जी ने बताया कि हम तो दिव्य व्यवस्था के वाहक हैं और इसलिए हमने उस दिव्य व्यवस्था पर अपनी श्रद्धा रखनी चाहिए भाव रखना चाहिए । वही व्यवस्था इन तमाम चीजों को क्योंकि भगवान किस बंदे से क्या करना चाहता है कोई बता नहीं सकता कभी-कभी वह बातें समझने में 100-100 साल लग जाते हैं और इसीलिए हम यह माने कि दिव्य शक्ति की इच्छा के आधार पर नव हिंदुस्तान को निर्मित करने की आवश्यकता है ।

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1 year, 9 months ago

न्याय पालिका बिक कर संत आशाराम बापू को प्रताड़ित कर रही है, पछताना पड़ेगा - सुरेश चव्हाणके

04 February 2023
http://azaadbharat.org

?राष्ट्रवादी चैनल सुदर्शन न्यूज के मुख्य संपादक श्री सुरेश चव्हाणके ने कहा कि आजादी के पहले की स्थिति और मुगलों के समय का तो मुझे पता नहीं लेकिन आजादी के बाद हिंदुस्तान में सबसे ज्यादा षड्यंत्रपूर्वक जिनको प्रताड़ित किया गया उन संत का नाम है आसाराम बापू जी। सबसे ज्यादा प्रताड़ित..इतनी प्रताड़ना की पराकाष्ठा मैंने कहीं नहीं देखी । हम सब जानते हैं कि बापूजी के साथ कैसे कानून का दुरुपयोग किया गया है ।

?सुरेश जी ने आगे कहा कि भाइयों को बताना चाहता हूँ कि कानून का मिसयूज कैसे किया जाता है मैक्सिमम मतलब उस Max का अंत नहीं इतना सब कुछ। बापू आशारामजी पर आरोप लगाने वाली उस लड़की की उम्र के कारण पॉक्सो एक्ट लगाया गया जबकि वह अल्पायु नहीं है उसके डॉक्यूमेंट भी है ।

?जो घटना घटी वहां पर मैं खुद गया था और खुद जाकर वह डिस्टेंस कितना है वो सब चेक किया । वाकई में क्या हुआ होगा इतनी देर में,में और मेरे साथ और कई पत्रकार और पुलिस अधिकारियों को भी लेकर गया था। ऐसे कई चीजों का विश्लेषण किया और कितनी चीज है जो हमारे (बापू आशारामजी के ) पक्ष में है उसके बावजूद भी किसी चीज को कानून के कटघरे में डाल दो और सालों किसी को जेल में सड़ाओ । मैंने तो ऐसा दूसरा कोई केस देखा नहीं जो बापूजी के बारे में देखा है ।
https://youtu.be/A65mB8owhVc

?बापूजी अत्याचार सहकर भी राष्ट्र सेवाकार्य कर रहे हैं....

?सुरेश जी ने आगे बताया कि बापू आशारामजी तो अंदर है लेकिन यह लोग (बापू आसारामजी के अनुयायी ) जो आज बापू आसारामजी का नाम लेकर इतना बड़ा सेवा कार्य चला रहे हैं विभिन्न आपदाओं के बावजूद कितनों को क्या-क्या झेलना नहीं पड़ा होगा पहले कुछ समय तक तो यह बिकाऊ मीडिया वालों की गंदी गेम के कारण बापू आसारामजी का नाम लेकर चलने वाले व्यक्ति की तरफ लोग गलत निगाह से देखते थे, कितनी हीन भावना से कैसे कैसे गंदे कॉमेंट्स रहे होंगे, ऐसे में काम करना कितना मुश्किल रहा होगा ।

?मित्रों! जो बापू आसारामजी के भक्तों ने झेला (सहन) किया है है मुझे लगता है कि इस देश में किसी राजनीतिक पार्टी के कार्यकर्ता नेता या यहां तक कि बंगाल, केरला में जो राजनीतिक कार्यकर्ता पर अत्याचार होते हैं उससे भी 1000 गुना ज्यादा अत्याचार बापू आसारामजी के भक्तों पर हुए। कितनी महिलाओं को लाठी डंडे झेलने पड़े कितने लोगों ने मतलब आप में से कई लोगों ने तो अपने घर को स्वाहा किया ।

?अनुयायी समाज तक सच्चाई पहुँचा रहे हैं

?सुरेश जी ने कहा कि बापू आसारामजी के भक्तों का कहना है कि हम लड़ेंगे क्योंकि पीछे हटेंगे तो पता नहीं यह लड़ाई कमजोर हो जाएगी, मैं ऐसे कई लोगों (बापू आसारामजी के भक्तों ) को जानता हूँ जिनकी दुकान तक बंद हो गई, जिनकी नौकरी छूट गई वह फिर भी थैला लेकर प्रूफ लेकर लोगों के पास जा रहे हैं RSS के लोगों को मिलते है, BJP से मिलते हैं, सत्ता से जुड़े लोगों को मिलते हैं, पत्रकारों को मिलते हैं, हमारे पास भी आते हैं कितने लोग मतलब वो कोई एक्टिविस्ट नहीं है लेकिन मैं बताऊं जब आप (षडयंत्रकारी) अत्याचार की अति कर देते हो तो उसके बाद सत्य का जो चक्र है ना वह उल्टा परिणाम देने लगता है, और वह चक्र क्या परिणाम दे रहा है यह तमाम वह लोग हैं जो लोग ईश्वर और खुद इसमें कनेक्ट है ।

?एक षडयंत्र ने करोड़ो राष्ट्रवादी पैदा किये

?आगे बताते हुए सुरेश जी ने कहा कि बापू आसारामजी पर हुए अत्याचार ने इस देश में कई करोड़ हिंदूवादी एक्टिविस्ट पैदा कर दिए । जो (बापू आसारामजी के अनुयायी ) भक्ति भाव और भजन के आगे जाते नहीं थे देश में बाकि क्या चीजें हो रही हैं वह स्वाभाविक से आदमी अलग चीजों में होता है धार्मिक क्षेत्र का, लेकिन आज ज्यादातर लोग (बापू आसारामजी के अनुयायी) सोशल मीडिया में सबसे ज्यादा एक्टिव है, ट्वीटर का ट्रेंड चलाते हैं तो टॉप ट्रेंड में रहते है, मैसेजेस भेजते हैं, भाषण सीख गए हैं। ऐसी ऐसी महिलाएं मुझे नहीं लगता कि वह घूंघट वाली महिलाएं हैं । मैंने दिल्ली में देखी थी वह चौराहे पर खड़े होकर भाषण दे सकती है यह सारा जोश उनके अंदर जो भरा वह इस एक घटना (बापू आसारामजी पर षड्यंत्र) ने भरा! कभी कभी मुझे ऐसा लगता है कि शायद हिंदुत्व का आंदोलन कमजोर पड़ रहा है और उस आंदोलन में एक साथ कई करोड़ कार्यकर्ता की जरूरत थी क्योंकि एक साथ कई कार्यकर्ता तो बड़ी मुश्किल से मिलते है । आपको तो पता है कि कार्यकर्ता खड़ा करना कितना मुश्किल होता है लेकिन हजारों साल के हिंदुत्ववादी मूमेंट में किसी एक घटना ने अगर करोड़ों कार्यकर्ताओं को खड़ा किया होगा तो बापू आसारामजी की घटना ने किया है यह इतिहास याद रखेगा की एक घटना का परिवर्तन कैसे होता है। हमें इस घटना का आज भी दुःख है ।

?न्यायपालिका को पछताना पड़ेगा

1 year, 9 months ago
ओजस्वी भारत
1 year, 9 months ago

?इन सेवाकार्यों से देश-विदेश के करोड़ों लोग किसी भी तरह के धर्म- जाति-मत–पंथ-सम्प्रदाय-राज्य व लिंग के हो भेदभाव के बिना लाभान्वित हो रहे हैं ।

?इन सभी गतिविधियों को आम व्यक्ति या व्यक्तियों के समूह द्वारा शुरू नहीं किया जा सकता है। यह केवल महान संत द्वारा किया जा सकता है जो आत्मनिर्भर और दिव्य हैं। ऐसे संतों से लाभान्वित होना, न होना- ये समाज पर निर्भर करता है। विकल्प आपका है क्योंकि आत्मरामी संतों को आपसे किसी चीज की आवश्यकता नहीं है और न ही उनको कोई घाटा है पर उनकी उपेक्षा करने से समाज को आनेवाले समय में बहुत बड़े नुकसान का सामना करना पड़ेगा।

?तो अब सवाल यह है कि पिछले पचास सालों से देश और संस्कृति की सेवा करनेवाले आशारामजी बापू को जेल क्यों भेजा गया ?

?सब जानते हैं कि भारत को 1947 में आजादी मिली पर पर्दे के पीछे का सत्य कोई नहीं जानता। केजीबी जासूस के मुताबिक़ अंतर्राष्ट्रीय मिशनरियों के पास भारत की संस्कृति को ध्वस्त करने का लक्ष्य है। असल में वे दुनिया पर शासन करना चाहते हैं पर किसी भी देश को नष्ट करने के लिए सबसे पहले उस देश की संस्कृति को नष्ट करना होता है और इसलिए वे उस देश की संस्कृति को नष्ट करने के लिए देश के प्रति वफादार नेताओं और संतों पर हमला करते हैं।

?जैसे सुभाष चन्द्र बोस, लाल बहादुर शास्त्री, राजीव दीक्षित और संत लक्ष्मणानंदजी आदि-आदि की कैसे मृत्यु हुई, आजतक पता नहीं चला।

?अब यह स्पष्ट होना चाहिए कि आशारामजी बापू अभी भी जेल में क्यों हैं ?
कुछ लोग कहते हैं- कांग्रेस (विशेष रूप से सोनिया गांधी का षड्यंत्र) आशारामजी बापू पर बनाये गये मामले के पीछे छिपी हुई है लेकिन अब जब मोदी सत्ता में हैं, तब भी आशारामजी बापू जेल में हैं।

?वास्तविक सत्य यह है: यह अंतरराष्ट्रीय स्तर पर साजिश है। बड़े शक्तिशाली लोग जो बहुराष्ट्रीय कंपनियों और मिशनरियों से जुड़े हुए हैं, उन्होंने पूरी भारतीय मीडिया को खरीद रखा है। यहां भारतीय मीडिया पूरी तरह से दूषित है और खरीदने में मुश्किल नहीं है, वे भ्रष्ट अधिकारी और राजनेता को खरीदते हैं। वे हमेशा किसी भी चेहरे के पीछे काम करते हैं, जैसे उन्होंने सोनिया गांधी के चेहरे के पीछे किया था। भारतीय लोगों को मीडिया द्वारा आसानी से बेवकूफ़ बना दिया जाता है और बाकि भ्रष्ट राजनेता और अधिकारी केस को लंबा बनाते हैं।

?जब हम आशारामजी बापू पर की गई FIR पढ़ते हैं तो सबकुछ स्पष्ट होता है।
5 दिन पहले जोधपुर मामले की दिल्ली में FIR ! और लडकी शाहजहांपुर (यूपी ) से है। बाकि FIR में कोई बलात्कार का जिक्र नहीं है, लेकिन मीडिया ब्रेकिंग न्यूज 24X7 में “रेप” शब्द बोलता है। क्यों ???

?अगर देश को बचाना चाहते हैं तो भारतीयों को एकजुट होना चाहिए। निर्दोष संत की रिहाई के लिए आगे आना चाहिए।

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1 year, 9 months ago

आशारामजी बापू को जेल क्यों हुई ?
सवाल आपका-जवाब हमारा…..

31 January 2023
http://azaadbharat.org

?पिछले 10 साल से 87 वर्षीय हिंदू संत आशारामजी बापू जोधपुर सेंट्रल जेल में बंद हैं। 10 सालों में उनको 1 दिन की भी जमानत नहीं दी गई, जबकि बड़े बड़े अपराधियों व आतंकवादियों को भी जमानत मिल चुकी है, फिर आशारामजी बापू को क्यों बेल नहीं मिली-आज आपको हम सच्चाई बताते हैं।

?आइये सबसे पहले नजर डालते हैं- उन सेवाकार्यों पर जिनकी शुरूआत आशारामजी बापू द्वारा हुई:

?1.) स्वदेशी अभियान आंदोलन-
इसके अंतर्गत आशारामजी बापू आयुर्वेद विज्ञान को लोगों की जीवनशैली में वापस लाए और उन्होंने गरीबों को उच्च गुणवत्तावाली और सस्ती दवाइयां उपलब्ध करवाई।

?2.) 50 से भी ज्यादा सनातन धर्म शैली के गुरुकुलों की शुरूआत की जिससे छोटी उम्र में ही बच्चे वैदिक संस्कृति से जुड़ने लगे। इनके गुरुकुल इतने लोकप्रिय हो गए हैं कि सभी स्थानीय कॉन्वेंट स्कूलों में प्रवेश में गिरावट आने लगी।

?3.) 1.0,000 से ज्यादा गायों को कत्लखाने जाने से बचाकर स्व-निर्भर गौशालाओं की शुरूआत की, जो बिना किसी बाहरी दान के चलाये जाते हैं; जहाँ गौ सेवा अंतरराष्ट्रीय मानकों पर की जा रही है। इनके गौमूत्र से बने अर्क, गौवटी और गोधूप इतने लोकप्रिय हो गए हैं कि अन्य बाहरी स्रोतों पर निर्भर रहने की आवश्यकता नहीं पड़ी और इससे 100 से ज्यादा स्थानीय आदिवासी परिवारों को रोजगार मिलने लगा।

?4.) जो लोग उनके सत्संग को सुनते और उनके संपर्क में आने लगे, वे गर्व से कहने लगे कि हिंदू होने पर वे अपने आपको बहुत भाग्यशाली मानते हैं।

?5.) आशारामजी बापू ने कई संस्थाओं का मार्गदर्शक बनकर उन्हें भी प्रेरित किया और खुद भी जनजातीय क्षेत्रों में बहुत-से सेवा और रोजगार के अवसरों का नेतृत्व किया और सनातन धर्म के मार्ग को खोनेवाले लाखों धर्मान्तरित हिंदुओं की घरवापसी करवाई ।

?6.) आशारामजी बापू के प्रत्येक आश्रम (कुल 450 आश्रम) को एक आत्मनिर्भर ईकाई के रूप में बनाया गया ताकि उन्हें किसीके सामने धनराशि के लिए प्रार्थना न करनी पड़े और वे आसानी से व्यसनमुक्ति अभियान, मातृपितृ पूजन दिवस, संस्कार सिंचन अभियान, वैदिक मंत्र विज्ञान प्रचार, संस्कृति रक्षक सम्मेलन, संकीर्तन यात्राएं और सत्संग जैसे सेवाकार्यों द्वारा समाज में जागृति लायें।

?7.) किसी भी देश की रीढ़ की हड्डी युवा होते हैं। आशारामजी बापू ने युवाधन सुरक्षा अभियान (दिव्य प्रेरणा प्रकाश) द्वारा युवाओं को संयमित जीवन का महत्व समझाया। आज आशारामजी बापू के कारण आधुनिक अश्लीलता भरे वातावरण में भी करोड़ों युवा ब्रह्मचर्य का महत्व समझ रहे हैं और अपनी प्राचीन विरासत पर गर्व करने लगे हैं।

?8.) आशारामजी बापू ने देश विदेश में 17,000 से भी अधिक बाल संस्कार केंद्र शुरू करवाये जहां बच्चों को अपने माता-पिता का आदर करने, स्मृति क्षमता में वृद्धि करने और जीवन को ऊर्जावान बनाये जाने की शिक्षा दी जाने लगी; उद्यम, साहस, धैर्य, बुद्धि, शक्ति, पराक्रम जैसे सद्गुणों से बच्चे विद्यार्थी जीवन से ही उन्नत, विचारवान और संस्कृति प्रेमी बनने लगे।

?9.) हमारी खोई हुई गरिमा और संस्कृति की महिमा को जनमानस के हृदय में पुनः स्थापित करने के लिए समाज में वैश्विक आंदोलन के रूप में प्रस्तुत किया गया, जैसे- 14 फरवरी वेलेंटाइन डे को “मातृपितृ पूजन दिवस” और 25 दिसंबर क्रिसमस डे को “तुलसी पूजन दिवस”।

?आपको बता दें कि आशारामजी बापू द्वारा 50 सालों से समाज उत्थान के कार्य किए जा रहे हैं। उन्होंने सत्संग के द्वारा देश व समाज को तोड़नेवाली ताकतों से देशवासियों को बचाया। लाखों लोगों को धर्मान्तरण से बचाया व लाखों धर्मान्तरित हिंदुओं को अपने धर्म में वापसी कराई। गरीब आदिवासी क्षेत्रों में जहाँ खाने की सुविधा तक नहीं थी वहाँ “भोजन करो, भजन करो, दक्षिणा पाओ” अभियान चलाया जाता है; गरीबों में राशन कार्ड के द्वारा अनाज का वितरण, कपड़े, बर्तन व जीवनोपयोगी सामग्री एवं मकान आदि का वितरण किया जाता है।

?प्राकृतिक आपदाओं में जहाँ प्रशासन भी नहीं पहुँच सका वहाँ आशारामजी बापू के शिष्यों द्वारा कई सेवाकार्य (निःशुल्क भोजन भंडार, कम्बल, कपड़े का वितरण व स्वास्थ्य शिविर के आयोजन) होते हैं। इसके अलावा आशारामजी बापू ने महिला सुरक्षा (WOMEN SAFETY & EMPOWERMENT) के कई अभियान चलाए, नारी जाति के सम्मान व उनमें पूज्यभाव के लिए सबको प्रोत्साहित किया, बड़ी कंपनियों में काम कर रही महिलाओं के साथ हो रहे अत्याचार के खिलाफ आवाज उठाई, महिला संगठन बनाया।

?World’s Religions’ Parliament, शिकागो अमेरिका में 1993 में स्वामी विवेकानन्दजी के बाद यदि कोई दूसरे संत ने प्रतिनिधित्व किया है तो वे आशारामजी बापू हैं, जिन्होंने हिंदू धर्म का प्रतिनिधित्व कर सनातन संस्कृति का परचम लहराया।

1 year, 10 months ago
ओजस्वी भारत
1 year, 10 months ago

याद है? बागेश्वर धाम से भी भयंकर षड्यंत्र 10 साल पहले हुआ था

27 January 2023
http://azaadbharat.org

?हाल ही में बागेश्वर धाम वाले पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री चमत्कार को लेकर नेशनल मीडिया और सोशल मीडिया पर बहुत सुर्खियों में है। उनके ऊपर अंध विश्वास फैलना का आरोप लगाया जा रहा है लेकिन धीरेंद्र शास्त्री का कहना है कि वे सनातन धर्म का प्रचार कर रहे है और उन्होंने 300 लोगो की घरवापसी करवाई इसलिए उनके खिलाफ षड्यंत्र किया जा रहा है।

?आपको बता दे की आज से 10 साल पहले बापू आशाराम जिन्होंने आदिवासी और देहाती गांवों और शहरों में घूमकर अपने प्रवचनों के माध्यम से करोड़ों लोगों में हिन्दू धर्म की लो जगाई, जिस समय कांग्रेस की सत्ता पूरी बहुमत थी, वेटिकन से सीधा संबध था,उस समय अकेले बापू भीड़ गए और लाखों हिंदुओं की घर वापसी करवा दी और आदिवासी क्षेत्रों में जाकर उनको जीवन उपयोगी सामग्री,मकान,राशन,कपड़े,बर्तन आदि देकर धर्मांतरण वालो की दुकानें बंद करा दी थी, करोड़ों लोगों को व्यसन और व्यभिचार से छुड़ाकर सदाचारी बना दिया था जिसके कारण विदेशी कंपनिया और वेटिकन सिटी में हड़कंप मच गया तो विधर्मियों ने तत्कालीन सरकार से मिलकर भयंकर साजिश रची और बापू को मीडिया में बदनाम करके झूठा आरोप लगवाकर जेल में भेज दिया था और 10 सालों में अभीतक उनको 1 दिन के लिए भी रिहा नही किया,जबकि उनकी उम्र अभी 86 वर्ष की और उनके पास षडयंत्र से फसाने और निर्दोष होने के प्रमाण होने के बाद भी उनको रिहा नही किया जा रहा है,ये इस सदी का सबसे बड़ा षडयंत्र है।

?हिंदू संत आशारामजी बापू ने ऐसा क्या क्या किया था जिसके कारण उन्हें झूठे केस में जेल भेजा गया है ? जानिए:-

?1). लाखों धर्मांतरित ईसाईयों को पुनः हिंदू बनाया व करोड़ों हिन्दुओं को अपने धर्म के प्रति जागरूक किया व आदिवासी इलाकों में जाकर जीवनोपयोगी सामग्री, मकान, पैसे, दवाइयां आदि दी जिससे धर्मान्तरण करने वालों का धंधा चौपट हो गया।

?2). कत्लखाने में जाती हज़ारों गौ-माताओं को बचाकर, उनके लिए विशाल गौशालाओं का निर्माण करवाया।

?3). शिकागो विश्व धर्मपरिषद में स्वामी विवेकानंदजी के 100 साल बाद जाकर हिन्दू संस्कृति का परचम लहराया।

?4). विदेशी कंपनियों द्वारा देश को लूटने से बचाकर आयुर्वेद/होम्योपैथिक के प्रचार-प्रसार द्वारा एलोपैथिक दवाईयों के कुप्रभाव से असंख्य लोगों का स्वास्थ्य और पैसा बचाया।

?5). लाखों-करोड़ों विद्यार्थियों को सारस्वत्य मंत्र देकर और योग व उच्च संस्कार का प्रशिक्षण देकर ओजस्वी- तेजस्वी बनाया।

?6). लंदन, पाकिस्तान, चाईना, अमेरिका और बहुत सारे देशों में जाकर सनातन हिंदू धर्म का ध्वज फहराया, पाकिस्तान में तो कराची में गाजी दरगाह मे दोपहर की अजान के समय भी वे हरि कथा करते रहे।

?7). वैलेंटाइन डे का विरोध करके "मातृ-पितृ पूजन दिवस" का प्रारम्भ करवाया।
https://youtu.be/LO7MWmLPz7w

?8). क्रिसमस डे के दिन प्लास्टिक के क्रिसमस ट्री को सजाने के बजाय, तुलसी पूजन दिवस मनाना शुरू करवाया।
https://www.youtube.com/playlist?list=PLbBmiOH-57U42_T8gMe-Q1pE7sO78E1Sq

?9). करोड़ों लोगों को अधर्म से सनातन धर्म की ओर मोड़ दिया।

?10). नशा मुक्ति अभियान के द्वारा करोड़ों लोगों को व्यसन-मुक्त कराया।

?11). वैदिक शिक्षा पर आधारित अनेकों गुरुकुल खुलवाए।

?12). मुश्किल हालातों में कांची कामकोटि पीठ के "शंकराचार्य श्री जयेंद्र सरस्वतीजी", बाबा रामदेव, मोरारी बापूजी, साध्वी प्रज्ञा एवं अन्य संतों का साथ दिया।

?13). ‘युवाधन सुरक्षा' अभियान चलाया गया तथा ‘युवा सेवा संघ' एवं ‘महिला उत्थान मंडल' की स्थापना की गयी है। इन संगठनों द्वारा भारत भर में ‘संस्कार सभाएँ' चलायी जा रही हैं, जिनका लाभ लेकर युवक-युवतियाँ अपना सर्वांगीण विकास कर रहे हैं।

?14) देशभर में विद्यार्थियों के उत्थान के लिए योग-प्राणायाम शिविरों का आयोजन किया जा रहा हैं।

?15) देशभर में 19 हजार के लगभग बाल-संस्कार केंद्र चलाये जा रहे है,जिसमें बच्चों को योग-प्राणायाम के साथ परीक्षाओं में उच्चतम अंक प्राप्त करने की युक्तियों को बताया जा रहा हैं।

?देश की जनता की मांग है कि राष्ट्र , संस्कृति की अथाह सेवा करने वाल बापू आशारामजी को शीघ्रता से ससम्मान से रिहा करना चाहिए।

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1 year, 10 months ago
ओजस्वी भारत
1 year, 10 months ago

?विवाह बाधा
वे कुमारी कन्याएँ जिनके विवाह में बाधा आ रही हो, उनके लिए गुप्त नवरात्र बहुत महत्त्वपूर्ण हैं। कुमारी कन्याओं को अच्छे वर की प्राप्ति के लिए इन नौ दिनों में माता कात्यायनी की पूजा-उपासना करनी चाहिए। "दुर्गास्तवनम्" जैसे प्रामाणिक प्राचीन ग्रंथों में लिखा है कि इस मंत्र का 108 बार जप करने से कुमारी कन्या का विवाह शीघ्र ही योग्य वर से संपन्न हो जाता है-
कात्यायनि महामाये महायोगिन्यधीश्वरि।
नन्दगोपसुतं देवि पतिं मे कुरू ते नम:।।

?इसी प्रकार जिन पुरुषों के विवाह में विलम्ब हो रहा हो, उन्हें भी लाल रंग के पुष्पों की माला देवी को चढ़ाकर निम्न मंत्र का 108 बार जप पूरे नौ दिन तक करने चाहिए-
देहि सौभाग्यमारोग्यं देहि मे परमं सुखम्।
रूपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि।

?देवी की महिमा

?शास्त्र कहते हैं कि आदिशक्ति का अवतरण सृष्टि के आरंभ में हुआ था। कभी सागर की पुत्री सिंधुजा-लक्ष्मी तो कभी पर्वतराज हिमालय की कन्या अपर्णा-पार्वती। तेज, द्युति, दीप्ति, ज्योति, कांति, प्रभा और चेतना और जीवन शक्ति संसार में जहाँ कहीं भी दिखाई देती है, वहाँ देवी का ही दर्शन होता है। ऋषियों की विश्व-दृष्टि तो सर्वत्र विश्वरूपा देवी को ही देखती है, इसलिए माता दुर्गा ही महाकाली, महालक्ष्मी और महासरस्वती के रूप में प्रकट होती है।

? 'देवीभागवत' में लिखा है कि- "देवी ही ब्रह्मा, विष्णु तथा महेश का रूप धर संसार का पालन और संहार करती हैं। जगन्माता दुर्गा सुकृती मनुष्यों के घर संपत्ति, पापियों के घर में अलक्ष्मी, विद्वानों-वैष्णवों के हृदय में बुद्धि व विद्या, सज्जनों में श्रद्धा व भक्ति तथा कुलीन महिलाओं में लज्जा एवं मर्यादा के रूप में निवास करती है। 'मार्कण्डेयपुराण' कहता है कि- "हे देवि! तुम सारे वेद-शास्त्रों का सार हो। भगवान विष्णु के हृदय में निवास करने वाली माँ लक्ष्मी-शशिशेखर भगवान शंकर की महिमा बढ़ाने वाली माँ तुम ही हो।"

?सरस्वती पूजा महोत्सव
माघी नवरात्र में पंचमी तिथि सर्वप्रमुख मानी जाती है। इसे 'श्रीपंचमी', 'वसंत पंचमी' और 'सरस्वती महोत्सव' के नाम से कहा जाता है। प्राचीन काल से आज तक इस दिन माता सरस्वती का पूजन-अर्चन किया जाता है। यह त्रिशक्ति में एक माता शारदा के आराधना के लिए विशिष्ट दिवस के रूप में शास्त्रों में वर्णित है। कई प्रामाणिक विद्वानों का यह भी मानना है कि जो छात्र पढ़ने में कमज़ोर हों या जिनकी पढ़ने में रुचि नहीं हो, ऐसे विद्यार्थियों को अनिवार्य रूप से माँ सरस्वती का पूजन करना चाहिए। देववाणी संस्कृत भाषा में निबद्ध शास्त्रीय ग्रंथों का दान संकल्प पूर्वक विद्वान् ब्राह्मणों को देना चाहिए।

?महानवमी को पूर्णाहुति
गुप्त नवरात्र में संपूर्ण फल की प्राप्ति के लिए सप्तमी,अष्टमी और नवमी तिथि को आवश्यक रूप से देवी के पूजन का विधान शास्त्रों में वर्णित है। माता के संमुख "ज्योत दर्शन" एवं कन्या भोजन करवाना चाहिए।

?स्त्री रूप में देवी पूजा

?'कूर्मपुराण' में पृथ्वी पर देवी के बिंब के रूप में स्त्री का पूरा जीवन नवदुर्गा की मूर्ति के रूप से बताया गया है। जन्म ग्रहण करती हुई कन्या "शैलपुत्री", कौमार्य अवस्था तक "ब्रह्मचारिणी" व विवाह से पूर्व तक चंद्रमा के समान निर्मल होने से "चंद्रघंटा" कहलाती है। नए जीव को जन्म देने के लिए गर्भ धारण करने से "कूष्मांडा" व संतान को जन्म देने के बाद वही स्त्री "स्कन्दमाता" होती है। संयम व साधना को धारण करने वाली स्त्री "कात्यायनी" व पतिव्रता होने के कारण पति की अकाल मृत्यु को भी जीत लेने से "कालरात्रि" कहलाती है। संसार का उपकार करने से "महागौरी" व धरती को छोड़कर स्वर्ग प्रयाण करने से पहले संसार को सिद्धि का आशीर्वाद देने वाली "सिद्धिदात्री" मानी जाती हैं।

?वैसे तो 22 जनवरी 2023 से 30 जनवरी 2023 तक नो दिनों तक सम्पूर्ण नवरात्र व्रत का पालन संयम-नियम ,जप-ध्यान,पाठ करते हुए करना चाहिए, पर किसी कारण से कोई नो दिनों तक व्रत नहीं कर कर पाता हैं, उसे 28 जनवरी 2023 से 30 जनवरी 2023 तक ब्रह्मचर्य का पालन करते हुए, संयम, नियम,जप,ध्यान,पाठ करते हुए सप्तमी, अष्टमी और नवमी को दुधाहर, फलाहार करते हुए उपवास करना चाहिए और नवमी तिथि के अंतिम काल मे उपवास खोलना चाहिए।

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