Hindu Panchang Daily हिन्दू पंचांग 🚩

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1 month, 1 week ago

**🌞~ आज का हिन्दू पंचांग ~🌞
दिनांक - 14 अक्टूबर 2024
*⛅दिन - सोमवार
विक्रम संवत् - 2081
अयन - दक्षिणायन
ऋतु - शरद
मास - आश्विन
पक्ष - शुक्ल
तिथि - एकादशी प्रातः 06:41 तक तत्पश्चात द्वादशी रात्रि 03:42 अक्टूबर 15 तक
नक्षत्र - शतभिषा रात्रि 12:43 अक्टूबर 15 तक तत्पश्चात पूर्व भाद्रपद
योग - गण्ड शाम 06:01 तक, तत्पश्चात वृद्धि
राहु काल - प्रातः 08:03 से प्रातः 09:31 तक
सूर्योदय - 06:36
सूर्यास्त - 06:16
दिशा शूल - पूर्व दिशा में
ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 04:57 से 05:47 तक
अभिजीत मुहूर्त - दोपहर 12:02 से दोपहर 12:49 तक
निशिता मुहूर्त- रात्रि 12:01 अक्टूबर 15 से रात्रि 12:50 अक्टूबर 15 तक
व्रत पर्व विवरण - पापांकुशा एकादशी, पद्मनाभ द्वादशी
विशेष - एकादशी को सिम्बी (सेम) व द्वादशी को पूतिका (पोई) खाने से पुत्र का नाश होता है । (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*

*🔹पापांकुशा एकादशी - 14 अक्टूबर 2024🔹*

*🔹एकादशी में क्या करें, क्या न करें ?🔹*

*🌹1. एकादशी को लकड़ी का दातुन तथा पेस्ट का उपयोग न करें । नींबू, जामुन या आम के पत्ते लेकर चबा लें और उँगली से कंठ शुद्ध कर लें । वृक्ष से पत्ता तोड़ना भी वर्जित है, अत: स्वयं गिरे हुए पत्ते का सेवन करें ।*

*🌹2. स्नानादि कर के गीता पाठ करें, श्री विष्णुसहस्रनाम का पाठ करें ।*

*🌹हर एकादशी को श्री विष्णुसहस्रनाम का पाठ करने से घर में सुख-शांति बनी रहती है ।
राम रामेति रामेति रमे रामे मनोरमे ।
सहस्रनाम तत्तुल्यं रामनाम वरानने ।।*

एकादशी के दिन इस मंत्र के पाठ से श्री विष्णुसहस्रनाम के जप के समान पुण्य प्राप्त होता है l

*🌹3. `ॐ नमो भगवते वासुदेवाय’ इस द्वादश अक्षर मंत्र अथवा गुरुमंत्र का जप करना चाहिए ।*

*🌹4. चोर, पाखण्डी और दुराचारी मनुष्य से बात नहीं करना चाहिए, यथा संभव मौन रहें ।*

*🌹5. एकादशी के दिन भूल कर भी चावल नहीं खाना चाहिए न ही किसी को खिलाना चाहिए । इस दिन फलाहार अथवा घर में निकाला हुआ फल का रस अथवा दूध या जल पर रहना लाभदायक है ।*

*🌹6. व्रत के (दशमी, एकादशी और द्वादशी) - इन तीन दिनों में काँसे के बर्तन, मांस, प्याज, लहसुन, मसूर, उड़द, चने, कोदो (एक प्रकार का धान), शाक, शहद, तेल और अत्यम्बुपान (अधिक जल का सेवन) - इनका सेवन न करें ।*

*🌹7. फलाहारी को गोभी, गाजर, शलजम, पालक, कुलफा का साग इत्यादि सेवन नहीं करना चाहिए । आम, अंगूर, केला, बादाम, पिस्ता इत्यादि अमृत फलों का सेवन करना चाहिए ।*

*🌹8. जुआ, निद्रा, पान, परायी निन्दा, चुगली, चोरी, हिंसा, मैथुन, क्रोध तथा झूठ, कपटादि अन्य कुकर्मों से नितान्त दूर रहना चाहिए ।*

*🌹9. भूलवश किसी निन्दक से बात हो जाय तो इस दोष को दूर करने के लिए भगवान सूर्य के दर्शन तथा धूप-दीप से श्रीहरि की पूजा कर क्षमा माँग लेनी चाहिए ।*

*🌹10. एकादशी के दिन घर में झाडू नहीं लगायें । इससे चींटी आदि सूक्ष्म जीवों की मृत्यु का भय रहता है ।*

*🌹11. इस दिन बाल नहीं कटायें ।*

*🌹12. इस दिन यथाशक्ति अन्नदान करें किन्तु स्वयं किसीका दिया हुआ अन्न कदापि ग्रहण न करें ।*

*🌹13. एकादशी की रात में भगवान विष्णु के आगे जागरण करना चाहिए (जागरण रात्र 1 बजे तक) ।*

*🌹14. जो श्रीहरि के समीप जागरण करते समय रात में दीपक जलाता है, उसका पुण्य सौ कल्पों में भी नष्ट नहीं होता है ।*

*🔹 इस विधि से व्रत करनेवाला उत्तम फल को प्राप्त करता है ।***

1 month, 2 weeks ago

**🌞~ आज का हिन्दू पंचांग ~🌞
दिनांक - 13 अक्टूबर 2024
*⛅दिन - रविवार
विक्रम संवत् - 2081
अयन - दक्षिणायन
ऋतु - शरद
मास - आश्विन
पक्ष - शुक्ल
तिथि - दशमी प्रातः 09:08 तक तत्पश्चात एकादशी
नक्षत्र - धनिष्ठा रात्रि 02:51 अक्टूबर 14 तक तत्पश्चात शतभिषा
योग - शूल रात्रि 09:26 तक, तत्पश्चात गण्ड
राहु काल - दोपहर 04:48 से शाम 06:16 तक
सूर्योदय - 06:36
सूर्यास्त - 06:16
दिशा शूल - पश्चिम दिशा में
ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 04:57 से 05:46 तक
अभिजीत मुहूर्त - दोपहर 12:02 से दोपहर 12:49 तक
निशिता मुहूर्त- रात्रि 12:01 अक्टूबर 14 से रात्रि 12:50 अक्टूबर 14 तक
व्रत पर्व विवरण - विद्यारम्भम् का दिन, मध्वाचार्य जयन्ती, रवि योग (प्रातः 06:36 से रात्रि 02:51 अक्टूबर 14 तक)
विशेष - दशमी को कलंबी शाक त्याज्य है व एकादशी को सिम्बी (सेम) खाने से पुत्र का नाश होता है । (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*

*🔹परिक्रमा क्यों 🔹?*

*🔹 भगवत्प्राप्त संत-महापुरुष के व्यासपीठ या निवास स्थान की, उनके द्वारा शक्तिपात किये हुए वट या पीपल वृक्ष की, महापुरुषों के समाधि स्थल अथवा किसी देव प्रतिमा की किसी कामना या संकल्पपूर्ति हेतु जो परिक्रमा (प्रदक्षिणा) की जाती है उसके पीछे अत्यंत सूक्ष्म रहस्य छिपे हैं । इसके द्वारा मानवी मन की श्रद्धा समर्पण की भावना का सदुपयोग करते हुए उसे अत्यंत प्रभावशाली 'आभा विज्ञान' का लाभ दिलाने की सुंदर व्यवस्था हमारी संस्कृति में है ।*

*🔹प्रदक्षिणा में छिपे वैज्ञानिक रहस्य🔹*

*🔹देवमूर्ति व ब्रह्मनिष्ठ संत-महापुरुषों के चारों तरफ दिव्य आभामंडल होता है । वैसे तो हर व्यक्ति के शरीर से एक आभा (aura) निकलती है किंतु ब्रह्मनिष्ठ महापुरुष का आभामंडल दूर-दूर तक फैला होता है । यदि वे महापुरुष कुंडलिनी योग के अनुभवनिष्ठ योगी भी हों तो उनका आभामंडल इतना व्यापक होता है कि उसे नापने में यंत्र भी असमर्थ हो जाते हैं । ऐसे आत्मारामी संत जहाँ साधना करते हैं, निवास करते हैं वह स्थल उनकी दिव्य आभा से, उनके शरीर से निकलनेवाली दिव्य सूक्ष्म तरंगों से सुस्पंदित, ऊर्जा-सम्पन्न हो जाता है । इस कारण ऐसे महापुरुष की परिक्रमा करने से तो लाभ होता ही है, साथ ही उनके सान्निध्य से सुस्पंदित स्थानों की भी परिक्रमा से हमारे अंदर आश्चर्यजनक उन्नतिकारक परिवर्तन होने लगते हैं ।*

*🔹प्रदक्षिणा 🔹*

*🔹 प्र + दक्षिणा अर्थात् दक्षिण (दायीं दिशा) की ओर फेरे करना । परिक्रमा सदैव अपने बायें हाथ की ओर से दायें हाथ की ओर ही की जाती है क्योंकि दैवी शक्ति के आभामंडल की गति दक्षिणावर्ती होती है । इसकी विपरीत दिशा में परिक्रमा करने से उक्त आभामंडल की तरंगों और हमारी स्वयं की आभा-तरंगों में टकराव पैदा होता है, जिससे हमारी जीवनीशक्ति नष्ट होने लगती है ।*

*🔹प्रदक्षिणा ७, लाभ अनगिनत !🔹*

*🔹तीर्थों की अपनी महिमा है परंतु हयात ब्रह्मवेत्ता सत्पुरुषों की महिमा तो निराली ही है । उनके लिए शास्त्र कहते हैं कि 'वे तो चलते-फिरते तीर्थराज हैं, तीर्थ शिरोमणि हैं । ऐसे महापुरुष की यदि किसी वस्तु पर दृष्टि पड़ जाय, स्पर्श हो जाय अथवा वे उस पर संकल्प कर दें तो वह हमारे लिए 'प्रसाद' हो जाती है, प्रसन्नता, आनंद-उल्लास एवं शांति देनेवाली हो जाती है, साथ ही मनोकामनाएँ भी पूर्ण करती है ।*

*🔹इसका प्रत्यक्ष उदाहरण है विश्वभर में स्थित संत श्री आशारामजी आश्रमों में ब्रह्मनिष्ठ महापुरुष पूज्य बापूजी द्वारा शक्तिपात किये हुए वटवृक्ष या पीपल वृक्ष, जिन्हें 'बड़ बादशाह' अथवा 'पीपल बादशाह' के नाम से जाना जाता है । ये कलियुग के साक्षात् कल्पवृक्ष साबित हो रहे हैं । इनकी श्रद्धापूर्वक मात्र ७ प्रदक्षिणा करने से लाखों-लाखों लोगों ने अनगिनत लाभ उठाये हैं । कितनों के रोग मिट गये, कितनों के दुःख-संताप दूर हुए, कितनों की मनोकामनाएँ पूर्ण हुई हैं तथा कितनों की आध्यात्मिक उन्नति हुई है ।*

*🔹जब श्रद्धालु अपना दायाँ अंग आराध्य देव की ओर करके एवं मन-ही-मन प्रदक्षिणा की संख्या व संकल्प निश्चित करके प्रदक्षिणा करता है तो उसके शरीर, मन व बुद्धि पर इष्ट देवता की दिव्य तरंगों का विशेष प्रभाव पड़ता है । परिक्रमा के समय यदि मन से शुभ संकल्प व समर्पण भावना के साथ सर्वसिद्धि प्रदायक भगवन्नाम या गुरुमंत्र का जप सुमिरन होता है तो मन शुद्धि भी होती है और लौकिक शारीरिक, सांसारिक और भी लाभ होते हैं ।
📖 - ऋषि प्रसाद जनवरी 2022***

1 month, 2 weeks ago

**🌞~ आज का हिन्दू पंचांग ~🌞
दिनांक - 12 अक्टूबर 2024
*⛅दिन - शनिवार
विक्रम संवत् - 2081
अयन - दक्षिणायन
ऋतु - शरद
मास - आश्विन
पक्ष - शुक्ल
तिथि - नवमी प्रातः 10:58 तक तत्पश्चात दशमी
नक्षत्र - श्रवण प्रातः 04:27 अक्टूबर 13 तक तत्पश्चात धनिष्ठा
योग - धृति रात्रि 12:22 अक्टूबर 13 तक, तत्पश्चात शूल
राहु काल - प्रातः 09:31 से प्रातः 10:58 तक
सूर्योदय - 06:38
सूर्यास्त - 06:14
दिशा शूल - पूर्व दिशा में
ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 04:57 से 05:46 तक
अभिजीत मुहूर्त - दोपहर 12:02 से दोपहर 12:49 तक
निशिता मुहूर्त- रात्रि 12:01 अक्टूबर 13 से रात्रि 12:51 अक्टूबर 13 तक
व्रत पर्व विवरण - सरस्वती विसर्जन, आयुध पूजा, दुर्गा विसर्जन, विजयादशमी (पूरा दिन शुभ मुहूर्त), दशहरा, दक्षिण सरस्वती पूजा, बुद्ध जयन्ती, दक्ष सावर्णि मन्वादि, सर्वार्थ सिद्धि योग (प्रातः 05:25 से प्रातः 06:35 तक)
विशेष - नवमी को लौकी खाना गौमाँस के सामान त्याज्य है व दशमी को कलंबी शाक त्याज्य है। (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*

*🔹विजयादशमी : 12 अक्टूबर 2024🔹*

*🔸विजयादशमी का दिन बहुत महत्त्व का है और इस दिन सूर्यास्त के पूर्व से लेकर तारे निकलने तक का समय अर्थात् संध्या का समय बहुत उपयोगी है ।*

*🔸दशहरे की संध्या को भगवान को प्रीतिपूर्वक भजे और प्रार्थना करे ।*

*🔸‘ॐ’ का जप करने से लौकिक कामनाओं की पूर्ति, आध्यात्मिक चेतना में वृद्धि और जीवन में दिव्यता तथा परमात्मा की प्राप्ति होती है ।*

*🔹 दशहरा के दिन जपने योग्य मंन्त्र 🔹*

*🔸 दशहरे की शाम को सूर्यास्त होने से कुछ समय पहले से लेकर आकाश में तारे उदय होने तक का समय सर्व सिद्धिदायी विजयकाल कहलाता है ।*

*🔸 इस विजयकाल में थोड़ी देर "राम रामाय नमः" मंत्र के नाम का जप करें ।*

*🔸 मन-ही-मन भगवान को प्रणाम करके प्रार्थना करें कि हे भगवान सर्व सिद्धिदायी विजयकाल चल रहा है, हम विजय के लिए "ॐ अपराजितायै नमः "मंत्र का जप कर रहे हैं ।*

*🔸 श्री हनुमानजी का सुमिरन करते हुए नीचे दिए गए मंत्र की एक माला जप करें ।
"पवन तनय बल पवन समाना, बुद्धि विवेक विज्ञान निधाना।"*

*🔸दशहरे के दिन विजयकाल में इन मंत्रों का जप करने से अगले साल के दशहरे तक गृहस्थ में जीनेवाले को बहुत अच्छे परिणाम देखने को मिलते हैं ।*

*🔹नेत्रज्योति बढ़ाने के लिए🔹*

*🔸दशहरे से शरद पूनम तक चन्द्रमा की चाँदनी में विशेष हितकारी रस, हितकारी किरणें होती हैं । इन दिनों चन्द्रमा की चाँदनी का लाभ उठाना, जिससे वर्षभर आप स्वस्थ और प्रसन्न रहें । नेत्रज्योति बढ़ाने के लिए दशहरे से शरद पूर्णिमा तक प्रतिदिन रात्रि में 15 से 20 मिनट तक चन्द्रमा के ऊपर त्राटक (पलकें झपकाये बिना एकटक देखना) करें । -पूज्य बापूजी***

4 months, 1 week ago

एकादशी महात्मय.pdf

4 months, 1 week ago

**?~ आज का हिन्दू पंचांग ~?
दिनांक - 17 जुलाई 2024
*⛅दिन - बुधवार
विक्रम संवत् - 2081
अयन - दक्षिणायण
ऋतु - वर्षा
मास - आषाढ़
पक्ष - शुक्ल
तिथि - एकादशी रात्रि 09:02 तक तत्पश्चात द्वादशी
नक्षत्र - अनुराधा रात्रि 03.13 जुलाई 18 तक तत्पश्चात जयेष्ठा
योग - शुभ प्रातः 07:05 तक तत्पश्चात शुक्ल
राहु काल - दोपहर 12:46 से दोपहर 02:26 तक
सूर्योदय - 06:04
सूर्यास्त - 07:27
दिशा शूल - उत्तर दिशा में
ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 04:39 से 05:22 तक
अभिजीत मुहूर्त - कोई नहीं
निशिता मुहूर्त- रात्रि 12:25 जुलाई 18 से रात्रि 01:07 जुलाई 18 तक
व्रत पर्व विवरण - देवशयनी एकादशी, चातुर्मास व्रतारम्भ, मुहर्रम (ताजिया), गौरी व्रत प्रारम्भ, सर्वार्थ सिद्धि योग व अमृत सिद्धि योग (प्रातः 06:04 से रात्रि 03:13 जुलाई 18 तक)
विशेष - एकादशी को सिम्बी (सेम) खाने से पुत्र का नाश होता है । (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*

*?देवशयनी एकादशी - 17 जुलाई 2024?*

*?एकादशी व्रत के लाभ?*

*? एकादशी व्रत के पुण्य के समान और कोई पुण्य नहीं है ।*

*? जो पुण्य सूर्यग्रहण में दान से होता है, उससे कई गुना अधिक पुण्य एकादशी के व्रत से होता है ।*

*? जो पुण्य गौ-दान, सुवर्ण-दान, अश्वमेघ यज्ञ से होता है, उससे अधिक पुण्य एकादशी के व्रत से होता है ।*

*? एकादशी करनेवालों के पितर नीच योनि से मुक्त होते हैं और अपने परिवारवालों पर प्रसन्नता बरसाते हैं । इसलिए यह व्रत करने वालों के घर में सुख-शांति बनी रहती है ।*

*? धन-धान्य, पुत्रादि की वृद्धि होती है ।*

*? कीर्ति बढ़ती है, श्रद्धा-भक्ति बढ़ती है, जिससे जीवन रसमय बनता है ।*

*?बातें छोटी-छोटी, लाभ ढेर सारा?*

*? प्रतिदिन प्रातःकाल सूर्योदय के बाद नीम व तुलसी के पाँच-पाँच पत्ते चबाकर ऊपर से थोड़ा पानी पीने से प्लेग तथा कैंसर जैसे खतरनाक रोगों से बचा जा सकता है और यादशक्ति भी बढ़ती है ।*

*?४० दिन तक रोज बिल्वपत्र के ७ पत्ते चबाकर ऊपर से थोड़ा पानी पीने से स्वप्नदोष की बीमारी से छुटकारा मिलता है ।*

*?सुबह खाली पेट चुटकीभर साबुत चावल (अर्थात् चावल के दाने टूटे हुए न हो) ताजे पानी के साथ निगलने से यकृत (लीवर) की तकलीफें दूर होती है और वह ठीक हो जाता है ।*

*? सुबह खाली पेट चाय या कॉफी पीने से जीवनशक्ति का बहुत ह्रास होता है तथा बुढ़ापा जल्दी आता है । पाचनशक्ति मंद हो जाती है, भूख मर जाती है, दिमाग कमजोर होने लगता है, गुदा और वीर्याशय ढीले पड़ जाते हैं । डायबिटीज जैसे रोग होते हैं और नींद उड़ जाती है ।*

*? भोजन कम से कम २५ मिनट तक खूब चबा चबाकर करना चाहिए । भोजन से पूर्व अदरक के दो-चार टुकड़े सेंधा नमक व नींबू मिलाकर खाने से मंदाग्नि दूर होती है ।*

*? प्रतिदिन स्नान से पूर्व दोनों पैरों के अंगूठों पर सरसों का तेल मलने से वृद्धावस्था तक नेत्रज्योति कमजोर नहीं होती । सुबह नंगे पैर हरी घास पर चलने से तथा आँवला खाने से नेत्रज्योति बढ़ती है ।*

*?शत्रुओं की बदनीयत विफल करने हेतु?*

*?जो शत्रुओं से घिरा है वह सद्गुरु के द्वार पर जब आरती होती हो तो उसका दर्शन करे, उसके सामने शत्रुओं की दाल नहीं गलेगी । - पूज्य बापूजी***

4 months, 1 week ago

**?~ आज का हिन्दू पंचांग ~?
दिनांक - 16 जुलाई 2024
*⛅दिन - मंगलवार
विक्रम संवत् - 2081
अयन - दक्षिणायण
ऋतु - वर्षा
मास - आषाढ़
पक्ष - शुक्ल
तिथि - दशमी रात्रि 08:33 तक तत्पश्चात एकादशी
नक्षत्र - विशाखा रात्रि 02:14 जुलाई 17 तक तत्पश्चात अनुराधा
योग - साध्य प्रातः 07:19 तक तत्पश्चात शुभ
राहु काल - शाम 04:07 से शाम 05:47 तक
सूर्योदय - 06:04
सूर्यास्त - 07:28
दिशा शूल - उत्तर दिशा में
ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 04:39 से 05:21 तक
अभिजीत मुहूर्त - दोपहर 12:19 से दोपहर 01:13
निशिता मुहूर्त- रात्रि 12:25 जुलाई 17 से रात्रि 01:07 जुलाई 17 तक
व्रत पर्व विवरण - कर्क संक्रांति पुण्यकाल सूर्योदय से प्रातः 11:29 तक
विशेष - दशमी को कलंबी शाक त्याज्य है।(ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*

*?वर्षा ऋतु में स्वास्थ्यप्रदायक अनमोल कुंजियाँ?*

पूज्य बापू जी के सत्संग-अमृत से संकलित

*?1. वर्षा ऋतु में मंदाग्नि, वायुप्रकोप, पित्त का संचय आदि दोषों की अधिकता होती है । इस ऋतु में भोजन आवश्यकता से थोड़ा कम करोगे तो आम (कच्चा रस) तथा वायु नहीं बनेंगे या कम बनेंगे, स्वास्थ्य अच्छा रहेगा । भूल से भी थोड़ा ज्यादा खाया तो ये दोष कुपित होकर बीमारी का रूप ले सकते हैं ।*

*?2. काजू, बादाम, मावा, मिठाइयाँ भूलकर भी न खायें, इनसे बुखार और दूसरी बीमारियाँ होती हैं ।*

*?3. अशुद्ध पानी पियेंगे तो पेचिश व और कई बीमारियाँ हो जाती हैं । अगर दस्त हो गये हों तो खिचड़ी में देशी गाय का घी डाल के खा लो तो दस्त बंद हो जाते हैं । पतले दस्त ज्यादा समय तक न रहें इसका ध्यान रखें ।*

*?4. बरसाती मौसम के उत्तरकाल में पित्त प्रकुपित होता है इसलिए खट्टी व तीखी चीजों का सेवन वर्जित है ।*

*?5. जिन्होंने बेपरवाही से बरसात में हवाएँ खायी हैं और शरीर भिगाया है, उनको बुढ़ापे में वायुजन्य तकलीफों के दुःखों से टकराना पड़ता है ।*

*?6. इस ऋतु में खुले बदन घूमना स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है ।*

*?7. बारिश के पानी में सिर भिगाने से अभी नहीं तो 20 वर्षों के बाद भी सिरदर्द की पीड़ा अथवा घुटनों का दर्द या वायु संबंधी रोग हो सकते हैं ।*

*?8. जो जवानी में ही धूप में सिर ढकने की सावधानी रखते हैं उनको बुढ़ापे में आँखों की तकलीफें जल्दी नहीं होतीं तथा कान, नाक आदि निरोग रहते हैं ।*

*?9. बदहजमी के कारण अम्लपित्त (Hyper acidity) की समस्या होती है और बदहजमी से जो वायु ऊपर चढ़ती है उससे भी छाती में पीड़ा होती है । वायु और पित्त का प्रकोप होता है तो अनजान लोग उसे हृदयाघात (Heart Attack) मान लेते हैं, डर जाते हैं । इसमें डरें नहीं, 50 ग्राम जीरा सेंक लो व 50 ग्राम सौंफ सेंक लो तथा 20-25 ग्राम काला नमक लो और तीनों को कूटकर चूर्ण बना के घर में रख दो । ऐसा कुछ हो अथवा पेट भारी हो तो गुनगुने पानी से 5-7 ग्राम फाँक लो ।*

*?10. अनुलोम-विलोम प्राणायाम करो – दायें नथुने से श्वास लो, बायें से छोड़ो फिर बायें से लो और दायें से छोड़ो । ऐसा 10 बार करो । दोनों नथुनों से श्वास समान रूप से चलने लगेगा । फिर दायें नथुने से श्वास लिया और 1 से सवा मिनट या सुखपूर्वक जितना रोक सकें अंदर रोका, फिर बायें से छोड़ दिया । कितना भी अजीर्ण, अम्लपित्त, मंदाग्नि, वायु हो, उनकी कमर टूट जायेगी । 5 से ज्यादा प्राणायाम नहीं करना । अगर गर्मी हो जाय तो फिर नहीं करना या कम करना ।*

स्रोतः ऋषि प्रसाद, जून 2018**

6 months, 3 weeks ago

**?~ आज का हिन्दू पंचांग ~?
दिनांक - 05 मई 2024
*⛅दिन - रविवार
विक्रम संवत् - 2081
अयन - उत्तरायण
ऋतु - ग्रीष्म
मास - वैशाख
पक्ष - कृष्ण
तिथि - द्वादशी शाम 05:41 तक तत्पश्चात त्रयोदशी
नक्षत्र - उत्तर भाद्रपदा रात्रि 07:57 तक तत्पश्चात रेवती
योग- वैधृति प्रातः 07:37 तक तत्पश्चात विष्कंभा
राहु काल - शाम 05:26 से शाम 07:02 तक
सूर्योदय - 06:08
सूर्यास्त - 07:02
दिशा शूल - पश्चिम दिशा में
ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 04:39 से 05:24 तक
अभिजीत मुहूर्त - दोपहर 12:09 से दोपहर 01:01 तक
निशिता मुहूर्त- रात्रि 12:13 मई 06 से रात्रि 12:57 मई 06 तक
व्रत पर्व विवरण- प्रदोष व्रत, विश्व हास्य दिवस
विशेष - द्वादशी को पूतिका (पोई) खाने से पुत्र का नाश होता है | (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*

*?प्रदोष व्रत : 05 मई?*

*?सूतजी कहते हैं - त्रयोदशी तिथि में सायंकाल प्रदोष कहा गया है । धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष की इच्छा रखनेवाले पुरुषों को प्रदोष में नियम पूर्वक भगवान् शिव की पूजा, होम, कथा और गुणगान करने चाहिये ।
?दरिद्रता के तिमिर से अन्धे और भवसागर में डूबे हुए संसार भय से भीरु मनुष्यों के लिये यह प्रदोषव्रत पार लगानेवाली नौका है ।
?भगवान् शिव की पूजा करने से मनुष्य दरिद्रता, मृत्यु-दुःख और पर्वत के समान भारी ऋण-भार को शीघ्र ही दूर कर के सम्पत्तियों से पूजित होता है।
(स्कन्द पुराण : ब्रह्मोत्तर खंड)*

*?दीर्घ एवं निरोगी जीवन के नियम?*

*? (१) प्रातः ब्राह्ममुहूर्त में उठें । सुबह-शाम खुली हवा में टहलें, दौड़ें ।*

*? (२) प्राणायाम, ध्यान, जप, योगासन, संयम-सदाचार आदि का नियम लें ।*

*? (३) दिन में २-३ बार 'देव- मानव हास्य प्रयोग' करें ।*

*? (४) कसे हुए, चटकीले-भड़कीले, गहरे रंग के, तंग व कृत्रिम (synthetic) कपड़े न पहनें । ढीले-ढाले सूती वस्त्र या ऋतु- अनुसार ऊनी वस्त्र पहनें ।*

*? (५) संयम से रहें । ऋतुचर्या के अनुसार आहार-विहार करें ।*

*? (६) पेशाब करने के तुरंत बाद पानी न पियें, न ही पानी पीने के तुरंत बाद पेशाब हेतु जायें । इससे हानि होती है । मल-मूत्र का वेग नहीं रोकें ।*

*? (७) सप्ताह में कम-से-कम एक दिन रोज के संसारी कार्यों से मुक्त हो जायें ।*

*? सप्ताह में कम-से-कम एक दिन थोड़ा हलका आहार लेकर घर के पूजा-कक्ष में मौन रह के अधिकांश समय सत्संग-श्रवण, श्री योगवासिष्ठ महारामायण ग्रंथ व आश्रम से प्रकाशित अन्य सत्साहित्य का स्वाध्याय, ध्यान, जप, अजपाजप, साक्षीभाव का अभ्यास आदि साधनों का विशेषरूप से लाभ लें ।*

*? (८) स्वास्थ्य-मंत्र 'ॐ हंसं हंसः' का नित्य १०८ बार (एक माला) जप करें ।*

*? (९) ब्रहावेत्ता संत-सद्गुरु के सत्संग का नियमितरूप से लाभ लें व दूसरों को भी दिलायें ।*

*? (१०) चाय-कॉफी, शराब-कबाब, धूम्रपान पान-मसाला सेवन, फिल्मी गाने सुनना, अश्लील दृश्य व चलचित्र तथा गंदी वेबसाइट्स देखना आदि किसी भी हानिकारक चीज की लत लगी हो तो उसे छोड़ने का व्रत लें व उस व्रत पर दृढ रहें ।*

*? (११) रात को सोते समय यह प्रयोग करें : भगवन्नाम का उच्चारण करो और भगवान से कह दो कि 'हम जैसे-तैसे हैं, तेरे हैं । ॐ शांति... ॐ 'शांति... ॐ आनंद...' ऐसा करके लेट गये और श्वास अंदर जाय तो 'ॐ', बाहर आये तो '१'... श्वास अंदर जाय तो 'शांति', बाहर आये तो '२'... श्वास अंदर जाय तो 'आरोग्य', बाहर आये तो '३'... इस प्रकार श्वासोच्छ्वास की गिनती करते-करते सोयें । इससे स्वास्थ्य-लाभ तो मिलेगा ही, साथ-ही-साथ रात्रि की निद्रा कुछ सप्ताह में योगनिद्रा बनने लगेगी और आप परमात्मा में पहुँच जाओगे ।*

-ऋषि प्रसाद फरवरी 2024**

6 months, 3 weeks ago

**?~ आज का हिन्दू पंचांग ~?
दिनांक - 04 मई 2024
*⛅दिन - शनिवार
विक्रम संवत् - 2081
अयन - उत्तरायण
ऋतु - ग्रीष्म
मास - वैशाख
पक्ष - कृष्ण
तिथि - एकादशी रात्रि 08:38 तक तत्पश्चात द्वादशी
नक्षत्र - पूर्व भाद्रपद रात्रि 10:07 तक तत्पश्चात उत्तर भाद्रपद
योग- इंद्र सुबह 11:04 तक तत्पश्चात वैधृति
राहु काल - सुबह 09:22 से सुबह 10:59 तक
सूर्योदय - 06:09
सूर्यास्त - 07:02
दिशा शूल - पूर्व दिशा में
ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 04:40 से 05:25 तक
अभिजीत मुहूर्त - दोपहर 12:01 से दोपहर 01:01 तक
निशिता मुहूर्त- रात्रि 12:13 मई 05 से रात्रि 12:57 मई 05 तक
व्रत पर्व विवरण- वल्लभाचार्य जयंती, वरुथिनी एकादशी
विशेष - एकादशी को सिम्बी (सेम) खाने से पुत्र का नाश होता है | (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*

*? वरुथिनी एकादशी - 4 मई 2024*

*?एकादशी में क्या करें, क्या न करें ??*

*?1. एकादशी को लकड़ी का दातुन तथा पेस्ट का उपयोग न करें । नींबू, जामुन या आम के पत्ते लेकर चबा लें और उँगली से कंठ शुद्ध कर लें । वृक्ष से पत्ता तोड़ना भी वर्जित है, अत: स्वयं गिरे हुए पत्ते का सेवन करें ।*

*?2. स्नानादि कर के गीता पाठ करें, श्री विष्णुसहस्रनाम का पाठ करें ।*

*?हर एकादशी को श्री विष्णुसहस्रनाम का पाठ करने से घर में सुख-शांति बनी रहती है ।
राम रामेति रामेति रमे रामे मनोरमे ।
सहस्रनाम तत्तुल्यं रामनाम वरानने ।।*

एकादशी के दिन इस मंत्र के पाठ से श्री विष्णुसहस्रनाम के जप के समान पुण्य प्राप्त होता है l

*?3. `ॐ नमो भगवते वासुदेवाय’ इस द्वादश अक्षर मंत्र अथवा गुरुमंत्र का जप करना चाहिए ।*

*?4. चोर, पाखण्डी और दुराचारी मनुष्य से बात नहीं करना चाहिए, यथा संभव मौन रहें ।*

*?5. एकादशी के दिन भूल कर भी चावल नहीं खाना चाहिए न ही किसी को खिलाना चाहिए । इस दिन फलाहार अथवा घर में निकाला हुआ फल का रस अथवा दूध या जल पर रहना लाभदायक है ।*

*?6. व्रत के (दशमी, एकादशी और द्वादशी) - इन तीन दिनों में काँसे के बर्तन, मांस, प्याज, लहसुन, मसूर, उड़द, चने, कोदो (एक प्रकार का धान), शाक, शहद, तेल और अत्यम्बुपान (अधिक जल का सेवन) - इनका सेवन न करें ।*

*?7. फलाहारी को गोभी, गाजर, शलजम, पालक, कुलफा का साग इत्यादि सेवन नहीं करना चाहिए । आम, अंगूर, केला, बादाम, पिस्ता इत्यादि अमृत फलों का सेवन करना चाहिए ।*

*?8. जुआ, निद्रा, पान, परायी निन्दा, चुगली, चोरी, हिंसा, मैथुन, क्रोध तथा झूठ, कपटादि अन्य कुकर्मों से नितान्त दूर रहना चाहिए ।*

*?9. भूलवश किसी निन्दक से बात हो जाय तो इस दोष को दूर करने के लिए भगवान सूर्य के दर्शन तथा धूप-दीप से श्रीहरि की पूजा कर क्षमा माँग लेनी चाहिए ।*

*?10. एकादशी के दिन घर में झाडू नहीं लगायें । इससे चींटी आदि सूक्ष्म जीवों की मृत्यु का भय रहता है ।*

*?11. इस दिन बाल नहीं कटायें ।*

*?12. इस दिन यथाशक्ति अन्नदान करें किन्तु स्वयं किसीका दिया हुआ अन्न कदापि ग्रहण न करें ।*

*?13. एकादशी की रात में भगवान विष्णु के आगे जागरण करना चाहिए (जागरण रात्र 1 बजे तक) ।*

*?14. जो श्रीहरि के समीप जागरण करते समय रात में दीपक जलाता है, उसका पुण्य सौ कल्पों में भी नष्ट नहीं होता है ।*

*? इस विधि से व्रत करनेवाला उत्तम फल को प्राप्त करता है ।***

6 months, 3 weeks ago

**?~ आज का हिन्दू पंचांग ~?
दिनांक - 03 मई 2024
*⛅दिन - शुक्रवार
विक्रम संवत् - 2081
अयन - उत्तरायण
ऋतु - ग्रीष्म
मास - वैशाख
पक्ष - कृष्ण
तिथि - दशमी रात्रि 11:24 मई 03 तक तत्पश्चात एकादशी
नक्षत्र - शतभिषा रात्रि 12:06 मई 04 तक तत्पश्चात पूर्व भाद्रपद
योग- ब्रह्मा दोपहर 02:19 तक तत्पश्चात इंद्र
राहु काल - सुबह 10:59 से दोपहर 12:35 तक
सूर्योदय - 06:09
सूर्यास्त - 07:02
दिशा शूल - पश्चिम दिशा में
ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 04:40 से 05:35 तक
अभिजीत मुहूर्त - दोपहर 12:10 से दोपहर 01:01 तक
निशिता मुहूर्त- रात्रि 12:13 मई 04 से रात्रि 12:57 मई 04 तक
विशेष - दशमी को कलंबी शाक त्याज्य है। (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*

*? पूज्य बापूजी द्वारा निर्देशित - जैविक घड़ी के अनुसार दिनचर्या ?*

*?ऋषियों व आयुर्वेदाचार्यो ने बिना भूख लगे भोजन करना वर्जित बताया है। अतः सुबह एवं शाम के भोजन की मात्रा ऐसी रखें जिससे नीचे बताये समय में खुलकर भूख लगे ।*

*? प्रातः ३ से ५ -(इस समय जीवनीशक्ति फेफड़ों में सक्रिय होती है ।)
इस समयावधि में थोड़ा गुनगुना पानी पीकर 'खुली हवा' में घूमना एवं प्राणायाम करना चाहिए ।*

*? सुबह : ५ से ७ (बड़ी आँत में) - प्रातः जागरण से लेकर सुबह ७ बजे के बीच मल त्याग व स्नान कर लें । ५ से ७ (सुबह ७ बजे के बाद जो मल त्याग करते हैं उन्हें अनेक बीमारियाँ घेर लेती हैं ।)*

*? सुबह ७ से ९ : (आमाशय या जठर में)- दूध या फलों का रस या कोई पेय पदार्थ ले सकते हैं । (भोजन के २ घंटे पूर्व)*

*? सुबह ९ से ११ : (अग्न्याशय व प्लीहा में) - यह समय भोजन के लिए उपयुक्त है ।*

*? दोपहर ११ से १ : (हृदय में)- दोपहर १२ बजे के आसपास (मध्यह्न- संध्या) ध्यान, जप करें । भोजन वर्जित है ।*

*? दोपहर १ से ३ : (छोटी आँत में)- भोजन के करीब २ घंटे बाद प्यास अनुरूप पानी पीना चाहिए ।*

*? दोपहर ३ से ५ : (मूत्राशय में)- २-४ घंटे पहले पिये पानी से इस समय मूत्र त्याग की प्रवृत्ति होगी ।*

*? शाम ५ से ७ : गुर्दों में (Kidneys)- इस समय हलका भोजन कर लेना चाहिए । सूर्यास्त के १० मिनट पहले से १० मिनट बाद तक (संध्याकाल में) भोजन न करें अपितु संध्या करें ।*

*? रात्रि ७ से ९ : (मस्तिष्क में)- इस समय मस्तिष्क विशेषरूप से सक्रिय रहता है । अतः पढ़ा हुआ पाठ जल्दी याद रह जाता है ।*

*? रात्रि ९ से ११ : (मेरूरज्जु में)- इस समय की नींद सर्वाधिक विश्रांतिप्रदान करती है ।*

*? रात्रि ११ से १ : (पित्ताशय में)- इस काल में जागरण पित्त बढ़ाता है ।*

*? रात्रि १ से ३ : (यकृत में)- इस काल में जागरण से पाचनतंत्र बिगड़ता है ।
? ऋषि प्रसाद : जून-२०२१*

*??नारियल पानी के लाभकारी प्रयोग??*

*? मूत्र त्यागते समय जलन होने पर नारियल के पानी में गुड़ और हरा धनिया मिलाकर रोगी को पिलाने से राहत मिलती है ।*

*? नारियल पानी यकृत की अनेक बीमारियों में लाभदायक है । उल्टी, हैजा, पेचिश, एसिडिटी, अल्सर, आदि में यह हितकर है I थकान तथा नाड़ी की तमाम गड़बड़ियाँ नारियल पानी से दूर हो जाती हैं ।*

*? जिनकी दिल की धड़कन बढ़ जाती हो उन्हें हरे नारियल का पानी पीना चाहिए । शिशु के शरीर में जलीय अंश की कमी हो जाने पर उसे दूर करने के लिए यह एक आदर्श पेय है । महिलाओं के रक्तप्रदर में भी यह लाभदायक है ।*

*? कच्चे नारियल का पानी चेहरे पर मलने से चेहरे के दाग-धब्बे व मुंहासों के निशान मिट जाते हैं और चेहरा सुन्दर हो जाता है I*

*? लोक कल्याण सेतु, अंक-89, नवंबर से दिस. 2004***

7 months ago

*?तो भगवान और कारक महापुरुषों का जन्म होता है करुणा-परवश होकर, दयालुता से। वे करुणा करके आते हैं तो यह अवतरण हो गया। हमारे कष्ट मिटाने के लिए भगवान का जो भी प्रेमावतार, ज्ञानावतार अथवा मर्यादावतार आदि होता है, तब वे हमारे नाईं जीते हैं, हँसते-रोते हैं, खाते-खिलाते हैं, सब करते हुए भी सम रहते हैं तो हमको उन्नत करने के लिए। उन्नत करने के लिए जो होता है वह अवतार होता है।*

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