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قناة الاستاذ الدكتور محمد داخل الركابي الرسمية
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सर्वमङ्गलमङ्गल्ये शिवे सर्वार्थसाधिके।
शरण्ये त्र्यम्बके गौरि नारायणि नमोऽस्तु ते।।
आदिशक्ति माँ भगवती के आराधना-उपासना के महापर्व 'शारदीय नवरात्रि' की हार्दिक शुभकामनाएं।
https://x.com/VHPDigital/status/1841682945805058530?t=Wu7NkCPQphl3AGPs6WxYoQ&s=19
जय जवान, जय किसान का नारा देने वाले, स्वतंत्र भारत के द्वितीय प्रधानमंत्री भारतरत्न लालबहादुर शास्त्री जी की जयंती पर कोटि कोटि नमन!
https://x.com/VHPDigital/status/1841326470662160869?t=4qlSwqaTu3GM3_AQVWrm-A&s=19
विहिप हरदोई ने समरसता सम्मेलन एवं समरसता भोज कार्यक्रम का आयोजन किया गया।
कार्यक्रम में मुख्य वक्ता विहिप के अखिल भारतीय सह संगठन महामंत्री श्री विनायक राव, मुख्य अतिथि विमल जैन रिटायर्ड जज, विशिष्ट अतिथि डॉक्टर ईश्वर चंद्र वर्मा वरिष्ठ साहित्यकार एवं कार्यक्रम की अध्यक्षता जनपद के वरिष्ठ चिकित्सक डॉक्टर सी. पी.कटियार जी ने की जिसमें रविदासी समाज के श्री राम कुमार वर्मा, वाल्मीकि समाज के श्री संतोष कुमार वाल्मीकि, ब्रह्माकुमारी संस्था से बहन रोशनी जी उपस्थित रही।
भारत रत्न डॉक्टर भीमराव अंबेडकर जी द्वारा कहे गए कथनों को दोहराते हुए मा. विनायक जी ने याद दिलाया कि संपूर्ण हिंदू समाज क़ो आज एक होने की जरूरत है। सिर्फ जाति पर आपस में मतभेद व मनभेद न करें। लोगों ने आजकल के दौर में जहां भगवान परशुराम व भगवान राम जी को भी जाति के बंधन में बांट रखा है उन अज्ञानी लोगों को यह पता ही नहीं की परशुराम जी की माता स्वयं क्षत्रिय कुल की थी। हजारों वर्षों से चली आ रही कुंभ की प्रथा में कोई भी जाति विशेष के स्नान का दिन नहीं है। पूर्व में जाति जाति व्यवस्था नहीं थी इसका कुंभ से बड़ा कोई उदाहरण नहीं हो सकता ।
हिंदू जनमानस एक साथ होकर हिन्दव: सोदरा: सर्वे, न हिन्दू पतितो भवेत्। मम दीक्षा हिन्दू: रक्षा,मम मंत्र: समानता।। सब हिन्दू भाई है, कोई भी हिन्दू पतित नहीं है। हिंदुओं की रक्षा ही मेरी दीक्षा है, समानता ही मेरा मंत्र है इस भाव के साथ चलें।
प्रेस विज्ञप्ति:
वेद भौतिक और आध्यात्मिक ज्ञान की निधि व अखिल ब्रह्माण्ड के मूल हैं: डॉ. मोहन राव भागवत, सरसंघचालक, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ
नई दिल्ली। सितंबर 18, 2024।राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत ने कहा कि वेद भौतिक और आध्यात्मिक ज्ञान की निधि व अखिल ब्रह्माण्ड के मूल हैं। वे सारी दुनिया को जोडने का काम करते हैं। अम्बेडकर इंटरनेशनल सेंटर में श्रीपाद दामोदर सातवलेकर कृत वेदों के हिंदी भाष्य के तृतीय संस्करण का लोकार्पण करते हुए उन्होंने कहा कि वेद और भारत दोनों एक ही हैं। वे सनातन धर्म का आधार है। वेदों में ज्ञान, विज्ञान, गणित, धर्म, चिकित्सा और संगीत की भी प्रचुरता है।
उन्होंने कहा कि वेदों के मंत्रों में अंक गणित, घन और घनमूल के सिद्धांतों का भी स्पष्ट उल्लेख हैं। वेदों में समस्त विश्व के कल्याण की बात निहित हैं। वेद विश्व की समस्त मानवता को एकाकार होने का मार्ग दिखाते है। सनातन संस्कृति में जीवन जीने के लिए स्पर्धा नहीं करनी पड़ती, यह हमें वेदों ने ही सिखाया है।
डॉ. मोहन भागवत ने कहा कि सत्यम् ज्ञानम् अनन्तम ब्रह्म'। हमारे ऋषियों ने इसी दृष्टि से विश्व कल्याण के लिए वेदों की रचना की थीं। हमारे यहां जब पुत्र का पेट भर जाता है तो माता तृप्त हो जाती है। यह बात विज्ञान चाहे ना माने किंतु यह भौतिक वाद से परे का आनंद है। ज्ञान की समस्त प्रणालियों में वेदों का आधार देखने को मिलता है। वेदों के अध्ययन से समस्त मानवता प्रकाशित होती रहेगी।
कार्यक्रम में महामंडलेश्वर पू स्वामी बालकानन्द गिरी जी महाराज ने कहा कि अक्रांताओं ने वेद ग्रंथों को और सनातन गुरुकुलों को नष्ट करने का प्रयास किया मगर हमारे ऋषियो की स्मृतियों में रचे- बसे वेदों को वह नष्ट नहीं कर पाए। इसीलिए भारतीय संस्कृति में वेद चिर स्थायी हैं और रहेंगे।
चारों
वेदों के 10 खंडों में हुए हिंदी भाष्य का लोकार्पण संघ प्रमुख के कर-कमलों से सम्पन्न हुआ। विहिप के संरक्षक व केन्द्रीय प्रबंध समिति के सदस्य श्री दिनेश चंद्र ने कार्यक्रम की प्रस्तावना में बताया कि स्वाध्याय मंडल पारडी, गुजरात तथा दिल्ली स्थित लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय के वेद अध्ययन केंद्र द्वारा श्रीपाद दामोदर सातवलेकर द्वारा भाष्यकृत इन चारों वेदों के 8 हजार पृष्टों के प्रकाशन में 10 वर्षो की अथक मेहनत लगी है। इस पुण्य कार्य में लगे विद्वानों व उनके सहयोगियों को इस अवसर पर सम्मानित भी किया गया।
कार्यक्रम में देश के अनेक साधु संत, संघ, विश्व हिंदू परिषद के साथ अनेक धार्मिक, सामाजिक व संस्कृतिक संगठनों के पदाधिकारियों सहित समाज के अनेक गणमान्य लोग व मातृ शक्ति उपस्थित थीं।
भवदीय
विनोद बंसल
राष्ट्रीय प्रवक्ता
विश्व हिंदू परिषद
नई दिल्ली
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