Utkarsh Saarthi

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**उत्कर्ष के गौरवमयी 22 वर्ष**

उत्कर्ष के गौरवमयी 22 वर्ष

आज उत्कर्ष की बाईसवीं वर्षगाँठ है सचमुच ये अद्भुत और अविश्वसनीय अनुभव प्रदान करने वाले 22 वर्ष रहे हैं। इन वर्षों के दौरान जिस तरह उत्कर्ष देश भर के समस्त विद्यार्थियों व शुभचिंतकों के प्रेम, स्नेह और विश्वास के साथ शिक्षा व विद्यार्थी हित में बिना रूके निरंतर आगे बढ़ता रहा है, वह अकल्पनीय है।
इस अवसर पर पूरा उत्कर्ष परिवार आप सभी का हृदय से आभार व्यक्त करता है। 💐☺️

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Haryana Utkarsh, [2/16/2024 2:01 PM]
प्रोफेसर मेघनाद साहा
?महान भारतीय वैज्ञानिक और खगोलविद् प्रोफेसर मेघनाद साहा का जन्म 6 अक्टूबर, 1893 को हुआ था।
?भारत के सबसे प्रतिष्ठित वैज्ञानिकों में से एक मेघनाद साहा अंतर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त खगोलविद थे। उनकी इस ख्याति का आधार है -साहा समीकरण। यह समीकरण तारों में भौतिक एवं रासायनिक स्थिति की व्याख्या करता है।
?‘साहा नाभिकीय भौतिकी संस्थान’ तथा ‘इंडियन एसोसिएशन फॉर द कल्टीवेशन ऑफ साइंस’ जैसी कई महत्त्वपूर्ण संस्थाओं की स्थापना का श्रेय प्रोफेसर साहा को जाता है।
?उनकी आरम्भिक शिक्षा ढाका कॉलेजिएट स्कूल में हुई और बाद में उन्होंने ढाका महाविद्यालय से शिक्षा ग्रहण की।
?वर्ष 1917 में क्वांटम फिजिक्स के प्राध्यापक के तौर पर उनकी नियुक्ति कोलकाता के यूनिवर्सिटी कॉलेज ऑफ साइंस में हो गई।
?सत्येन्द्रनाथ बोस के साथ मिलकर प्रोफेसर साहा ने आइंस्टीन और मिंकोवस्की के शोधपत्रों का अनुवाद अंग्रेजी भाषा में किया।
?वर्ष 1919 में अमेरिका के एक खगोल भौतिकी जर्नल में साहा का एक शोध पत्र छपा। यह वही शोध-पत्र था, जिसमें उन्होंने ‘आयनीकरण फॉर्मूला’ प्रतिपादित किया था।
?यह फॉर्मूला खगोलशास्त्रियों को सूर्य और अन्य तारों के आंतरिक तापमान और दबाव की जानकारी देने में सक्षम है।
?तत्त्वों के थर्मल आयनीकरण के जरिये सितारों के स्पेक्ट्रा की व्याख्या करने के अध्ययन में साहा समीकरण का प्रयोग किया जाता है।
?यह समीकरण खगोल भौतिकी में सितारों के स्पेक्ट्रा की व्याख्या के लिए बुनियादी उपकरणों में से एक है। इसके आधार पर विभिन्न तारों के स्पेक्ट्रा का अध्ययन कर तारों के तापमान का पता लगाया जा सकता है।
?प्रोफेसर साहा के समीकरण का उपयोग करते हुए तारों को बनाने वाले विभिन्न तत्त्वों के आयनीकरण की स्थिति निर्धारित की जा सकती है। प्रोफेसर साहा ने सौर किरणों के वजन और दबाव को मापने के लिए एक उपकरण का भी आविष्कार किया।
?प्रोफेसर मेघनाद साहा ने कई वैज्ञानिक संस्थानों, समितियों; जैसे नेशनल अकादमी ऑफ़ साइंस, इंडियन फिजिकल सोसायटी, इंडियन एसोसिएशन फॉर द कल्टीवेशन ऑफ साइंस के साथ इलाहाबाद विश्वविद्यालय में भौतिकी विभाग और कलकत्ता (कोलकाता) में परमाणु भौतिकी संस्थान का निर्माण करने में मदद की।
?एक महान वैज्ञानिक होने के साथ-साथ प्रोफेसर साहा एक स्वतंत्रता सेनानी भी रहे। उन्होंने देश की आज़ादी में भी योगदान दिया। प्रेसीडेंसी कॉलेज में पढ़ते हुए ही मेघनाद क्रांतिकारियों के संपर्क में आए।
?इसके बाद उनका संपर्क नेताजी सुभाष चंद्र बोस और राजेंद्र प्रसाद से भी रहा। भारत और उसकी समृद्धि में विज्ञान के महत्त्व को रेखांकित करने वाले प्रोफेसर मेघनाद साहा का आधुनिक और सक्षम भारत के निर्माण में अप्रतिम योगदान है।
?वैज्ञानिक होने के साथ-साथ प्रोफेसर साहा आम जनता में भी लोकप्रिय थे। वे वर्ष 1952 में भारत के पहले लोकसभा के चुनाव में कलकत्ता से भारी बहुमत से निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में जीतकर आए।
?16 फरवरी, 1956 को उनकी मृत्यु हो गई।

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