Hindi Motivational stories

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Last updated 2 days, 18 hours ago

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Last updated 3 days, 13 hours ago

1 month ago

!! नेक कर्म !!
~~~~~~~~~~~

एक राजा अपनी प्रजा का भरपूर ख्याल रखता था. राज्य में अचानक चोरी की शिकायतें बहुत आने लगीं. कोशिश करने से भी चोर पकड़ा नहीं गया.

हारकर राजा ने ढींढोरा पिटवा दिया कि जो चोरी करते पकडा जाएगा उसे मृत्युदंड दिया जाएगा. सभी स्थानों पर सैनिक तैनात कर दिए गए. घोषणा के बाद तीन-चार दिनों तक चोरी की कोई शिकायत नही आई.

उस राज्य में एक चोर था जिसे चोरी के सिवा कोई काम आता ही नहीं था. उसने सोचा मेरा तो काम ही चोरी करना है. मैं अगर ऐसे डरता रहा तो भूखा मर जाउंगा. चोरी करते पकडा गया तो भी मरुंगा, भूखे मरने से बेहतर है चोरी की जाए.

वह उस रात को एक घर में चोरी करने घुसा. घर के लोग जाग गए. शोर मचाने लगे तो चोर भागा. पहरे पर तैनात सैनिकों ने उसका पीछा किया. चोर जान बचाने के लिए नगर के बाहर भागा.

उसने मुडके देखा तो पाया कि कई सैनिक उसका पीछा कर रहे हैं. उन सबको चमका देकर भाग पाना संभव नहीं होगा. भागने से तो जान नहीं बचने वाली, युक्ति सोचनी होगी.

चोर नगर से बाहर एक तालाब किनारे पहुंचा. सारे कपडे उतारकर तालाब में फेंक दिया और अंधेरे का फायदा उठाकर एक बरगद के पेड के नीचे पहुंचा.

बरगद पर बगुलों का वास था. बरगद की जड़ों के पास बगुलों की बीट पड़ी थी. चोर ने बीट उठाकर उसका तिलक लगा लिया और आंख मूंदकर ऐसे स्वांग करने बैठा जैसे साधना में लीन हो.

खोजते-खोजते थोडी देर मे सैनिक भी वहां पहुंच गए पर उनको चोर कहीं नजर नहीं आ रहा था. खोजते खोजते उजाला हो रहा था ओर उनकी नजर बाबा बने चोर पर पडी.

सैनिकों ने पूछा- बाबा इधर किसी को आते देखा है. पर ढोंगी बाबा तो समाधि लगाए बैठा था. वह जानता था कि बोलूंगा तो पकडा जाउंगा सो मौनी बाबा बन गया और समाधि का स्वांग करता रहा.

सैनिकों को कुछ शंका तो हुई पर क्या करें. कही सही में कोई संत निकला तो ? आखिरकार उन्होंने छुपकर उसपर नजर रखना जारी रखा. यह बात चोर भांप गया. जान बचाने के लिए वह भी चुपचाप बैठा रहा.

एक दिन, दो दिन, तीन दिन बीत गए बाबा बैठा रहा. नगर में चर्चा शुरू हो गई की कोई सिद्ध संत पता नहीं कितने समय से बिना खाए-पीए समाधि लगाए बैठै हैं. सैनिकों को तो उनके अचानक दर्शऩ हुए हैं.

नगर से लोग उस बाबा के दर्शन को पहुंचने लगे. भक्तों की अच्छी खासी भीड़ जमा होने लगी. राजा तक यह बात पहुंच गई. राजा स्वयं दर्शन करने पहुंचे. राजा ने विनती की आप नगर मे पधारें और हमें सेवा का सौभाग्य दें.

चोर ने सोचा बचने का यही मौका है. वह राजकीय अतिथि बनने को तैयार हो गया. सब लोग जयघोष करते हुए नगर में ले जाकर उसकी सेवा सत्कार करने लगे.

लोगों का प्रेम और श्रद्धा भाव देखकर ढोंगी का मन परिवर्तित हुआ. उसे आभास हुआ कि यदि नकली में इतना मान-संम्मान है तो सही में संत होने पर कितना सम्मान होगा. उसका मन पूरी तरह परिवर्तित हो गया और चोरी त्यागकर संन्यासी हो गया.

शिक्षा
संगति, परिवेश और भाव इंसान में अभूतपूर्व बदलाव ला सकता है. रत्नाकर डाकू को गुरू मिल गए तो प्रेरणा मिली और वह आदिकवि हो गए. असंत भी संत बन सकता है, यदि उसे राह दिखाने वाला मिल जाए.

अपनी संगति को शुद्ध रखिए, विकारों का स्वतः पलायन आरंभ हो जाएगा..!!

सदैव प्रसन्न रहिये - जो प्राप्त है, पर्याप्त है।
जिसका मन मस्त है - उसके पास समस्त है।।
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1 month, 3 weeks ago

*🌷!! सच्चा न्याय !!🌷*

एक बार एक राजा शिकार खेलने गया। उसका तीर लगने से जंगलवासियों में से किसी का बच्चा मर गया। बच्चे की माँ विधवा थी और यह बच्चा उसका एकमात्र सहारा था। विधवा न्यायधीश के पास पहुंची। रोती-पीटती विधवा न्यायधीश के पास पहुंची और उससे फरियाद की। जब न्यायधीश को पता चला कि बालक राजा के तीर से मरा है, तो उनको समझ में नहीं आया कि वह इंसाफ कैसे करें। अगर उसने विधवा के हक में फैसला दिया तो राजा को सजा सुनानी होगी। यदि विधवा के साथ अन्याय किया, तो ईश्वर को क्या जवाब देगा।
काफी सोच विचार कर वह फरियाद सुनने को राजी हुआ। उसने विधवा को दूसरे दिन अदालत में बुलवाया। विधवा की फरियाद सुनने के पश्चात राजा को भी अदालत में बुलवाना आवश्यक था। वह राजा के पास यह सूचना किसी दूत से भेज सकता था। उसने अपने एक सहायक को राजा के पास भेजा की वह अदालत में हाजिर हो।
सहायक किसी प्रकार हिम्मत करके न्यायधीश का संदेश राजा को सुनाने पहुंचा। वह हाथ जोड़कर राजा के समक्ष उपस्थित हुआ तथा न्यायधीश का संदेश सुनाया। राजा ने कहा कि वह दूसरे दिन अदालत में अवश्य हाजिर होगा।
दूसरे दिन सुबह राजा न्यायधीश की अदालत में हाजिर हुआ। वह जाते समय कुछ सोचकर अपने वस्त्रों के नीचे तलवार छिपाकर ले गया।
न्यायधीश की अदालत भीड़ से खचा-खच भरी हुई थी। इस फैसले को सुनने के लिए दूर-दूर से लोग आये थे। राजा अदालत में आया तो प्रत्येक व्यक्ति उसके सम्मान में खड़ा हो गया। लेकिन न्यायधीश अपने स्थान पर बैठा रहा वह खड़ा नहीं हुआ। उसने विधवा को आवाज लगायी तो वह अंदर आयी। न्यायधीश ने उससे फरियाद करने को कहा। विधवा ने सबके सामने अपने बेटे के मरने की कहानी कह सुनायी।
अब न्यायधीश ने राजा से कहा- “महाराज! इस विधवा का बेटा आपके तीर से मारा गया है। आप पर उसको मारने का आरोप है। इस विधवा की यह हानि किसी भी स्थिति में पूरी नहीं हो सकती। मैं आदेश देता हूं कि किसी भी हालत में इसका नुकसान पूरा करें।
राजा ने उस विधवा से क्षमा मांगी और कहा- “मैं तुम्हारे इस नुकसान को पूरा नहीं कर सकता; किंतु इसकी भरपाई के लिए मैं पूरी उम्र तुम्हारा सारा खर्च उठाने तथा तुम्हारी सेवा करने का वचन देता हूं, जिसे तुम्हारी जिंदगी सुख-चैन से कट सके।”
विधवा राजी हो गयी। न्यायधीश अपने स्थान से उठ खड़ा हुआ तथा उसने अपनी जगह राजा के लिए खाली कर दी।
राजा बोला- “न्यायधीश जी! अगर आप ने फैसला करने में मेरा सम्मान नहीं किया होता तो मैं तलवार से आपकी गर्दन काट देता। कहकर उसने अपने वस्त्रों में छिपी तलवार बाहर निकालकर सब को दिखाई।”
न्यायाधीश सिर झुकाकर बोला- “महाराज! अगर आप ने मेरा आदेश मानने में जरा भी टाल-मटोल की होती तो मैं हंटर से आप की खाल उधड़वा देता।” इतना कहकर उसने भी अपने वस्त्रों के अंदर से एक चमड़े का हंटर निकालकर सामने रख दिया।
राजा न्यायधीश की बात से बड़ा प्रसन्न हुआ और उसने उसे अपनी बाहों में भर लिया।

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2 months, 2 weeks ago

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4 months ago

एक गुरु के दो शिष्य थे। एक पढ़ाई में बहुत तेज और विद्वान था और दूसरा फिसड्डी। पहले शिष्य की हर जगह प्रसंशा और सम्मान होता था। जबकि दूसरे शिष्य की लोग उपेक्षा करते थे। एक दिन रोष में दूसरा शिष्य गुरू जी के जाकर बोला, “गुरूजी! मैं उससे पहले से आपके पास विद्याध्ययन कर रहा हूँ। फिर भी आपने उसे मुझसे अधिक शिक्षा दी।” गुरुजी थोड़ी देर मौन रहने के बाद बोले, “पहले तुम एक कहानी सुनो। एक यात्री कहीं जा रहा था। रास्ते में उसे प्यास लगी। थोड़ी दूर पर उसे एक कुआं मिला। कुएं पर बाल्टी तो थी लेकिन रस्सी नही थी। इसलिए वह आगे बढ़ गया। थोड़ी देर बाद एक दूसरा यात्री उस कुएं के पास आया। कुएं पर रस्सी न देखकर उसने इधर-उधर देखा।

पास में ही बड़ी बड़ी घास उगी थी। उसने घास उखाड़कर रस्सी बटना प्रारम्भ किया। थोड़ी देर में एक लंबी रस्सी तैयार हो गयी। जिसकी सहायता से उसने कुएं से पानी निकाला और अपनी प्यास बुझा ली।” गुरु जी ने उस शिष्य से पूछा, “अब तुम मुझे यह बताओ कि प्यास किस यात्री को ज्यादा लगी थी?” शिष्य ने तुरंत उत्तर दिया कि दूसरे यात्री को। गुरूजी फिर बोले, “प्यास दूसरे यात्री को ज्यादा लगी थी। यह हम इसलिए कह सकते हैं क्योंकि उसने प्यास बुझाने के लिए परिश्रम किया। उसी प्रकार तुम्हारे सहपाठी में ज्ञान की प्यास है। जिसे बुझाने लिए वह कठिन परिश्रम करता है। जबकि तुम ऐसा नहीं करते।”

शिष्य को अपने प्रश्न का उत्तर मिल चुका था।वह भी कठिन परिश्रम में जुट गया..!!

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4 months, 1 week ago

!! दृढ़ निश्चय !!

एक बार एक संत महाराज किसी काम से एक कस्बे में पहुंचे। रात्रि में रुकने के लिए वे कस्बे के एक मंदिर में गए। लेकिन वहां उनसे कहा गया कि वे इस कस्बे का कोई ऐसा व्यक्ति ले आएं, जो उनको जानता हो। तब उन्हें रुकने दिया जाएगा।

उस अनजान कस्बे में उन्हें कौन जानता था ? दूसरे मंदिरों और धर्मशालाओं में भी वही समस्या आयी। अब संत महाराज परेशान हो गए। रात काफी हो गयी थी और वे सड़क किनारे खड़े थे। तभी एक व्यक्ति उनके पास आया।

उसने कहा, “मैं आपकी समस्या से परिचित हूँ। लेकिन मैं आपकी गवाही नहीं दे सकता। क्योंकि मैं इस कस्बे का नामी चोर हूँ। अगर आप चाहें तो मेरे घर पर रुक सकते हैं। आपको कोई परेशानी नहीं होगी।

संत महाराज बड़े असमंजस में पड़ गए। एक चोर के यहां रुकेंगे। कोई जानेगा तो क्या सोचेगा ? लेकिन कोई और चारा भी नहीं था। मजबूरी में वो यह सोचकर उसके यहां रुकने को तैयार हो गए कि कल कोई दूसरा इंतजाम कर लूंगा।

चोर उनको घर में छोड़कर अपने काम यानी चोरी के लिए निकल गया। सुबह वापस लौट कर आया तो बड़ा प्रसन्न था। उसने स्वामी जी को बताया कि आज कोई दांव नहीं लग सका। लेकिन अगले दिन जरूर लगेगा।

चोर होने के बावजूद उसका व्यवहार बहुत अच्छा था। जिसके कारण संत महाराज उसके यहां एक महीने तक रुके। वह प्रत्येक रात को चोरी करने जाता। लेकिन पूरे माह उसका दांव नहीं लगा। फिर भी वह प्रसन्न था। उसे दृढ़ विश्वास था कि आज नहीं तो कल मेरा दांव जरूर लगेगा। पूरे एक माह बाद उसे एक बड़ा मौका हाथ लगा।

महात्मा जी ने सोचा कि यह चोर कितना दृढ़निश्चयी है। इसे अपने ऊपर अटूट विश्वास है। जबकि हम लोग थोड़ी सी असफलता से विचलित हो जाते हैं। अगर इसकी तरह दृढ़ निश्चय और विश्वास हो तो सफलता निश्चित मिलेगी।

शिक्षा:-
यह प्रेरक प्रसंग हमें सिखाता है कि हमें असफलताओं से विचलित और निराश नहीं होना चाहिये। दृढ़ निश्चय और निरंतर प्रयास से सफलता अवश्य मिलती है।

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4 months, 1 week ago

!! पुराना कुआं !!
~~~~~~~~~~~

दो छोटे लड़के घर से कुछ दूर खेल रहे थे। खेलने में वे इतने मस्त थे कि उन्हें पता ही नहीं चला कि वे भागते-भागते कब एक सुनसान जगह पहुँच गए। उस जगह पर एक पुराना कुआं था और उनमें से एक लड़का गलती से उस कुएं में जा गिरा।

“बचाओ-बचाओ” वो चीखने लगा।

दूसरा लड़का एकदम से डर गया और मदद के लिए चिल्लाने लगा, पर उस सुनसान जगह कहाँ कोई मदद को आने वाला था! फिर लड़के ने देखा कि कुएं के करीब ही एक पुरानी बाल्टी और रस्सी पड़ी हुई है, उसने तेजी दिखाते हुए तुरंत रस्सी का एक सिरा वहां गड़े एक पत्थर से बाँधा और दूसरा सिरा नीचे कुएं में फेंक दिया। कुएं में गिरे लड़के ने रस्सी पकड़ ली, अब वह अपनी पूरी ताकत से उसे बाहर खींचे लगा, अथक प्रयास के बाद वे उसे ऊपर तक खींच लाया और उसकी जान बचा ली।

जब गांव में जाकर उन्होंने यह बात बताई तो किसी ने भी उन पर यकीन नहीं किया। एक आदमी बोला- तुम एक बाल्टी पानी तो निकाल नहीं सकते, इस बच्चे को कैैसे बाहर खींच सकते हो; तुम झूठ बोल रहे हो। तभी एक बुजुर्ग बोला- यह सही कह रहा है क्योंकि वहां पर इसके पास कोई दूसरा रास्ता नहीं था और वहां इसे कोई यह कहने वाला नहीं था कि ‘तुम ऐसा नहीं कर सकते हो’।

शिक्षा:-
दोस्तों, जिंदगी में अगर सफलता चाहते हो तो उन लोगों की बात मानना छोड़ दो जो यह कहते हैं कि तुम इसे नहीं कर सकते..!!

4 months, 1 week ago

!! लक्ष्य प्राप्ति की राह !!
~~~~~~~~~~~~~

एक किसान के घर एक दिन उसका कोई परिचित मिलने आया। उस समय वह घर पर नहीं था। उसकी पत्नी ने कहा- वह खेत पर गए हैं। मैं बच्चे को बुलाने के लिए भेजती हूं। तब तक आप इंतजार करें।

कुछ ही देर में किसान खेत से अपने घर आ पहुंचा। उसके साथ-साथ उसका पालतू कुत्ता भी आया। कुत्ता जोरों से हांफ रहा था। उसकी यह हालत देख, मिलने आए व्यक्ति ने किसान से पूछा... क्या तुम्हारा खेत बहुत दूर है ? किसान ने कहा- नहीं, पास ही है। लेकिन आप ऐसा क्यों पूछ रहे हैं ?

उस व्यक्ति ने कहा- मुझे यह देखकर आश्चर्य हो रहा है कि तुम और तुम्हारा कुत्ता दोनों साथ-साथ आए... लेकिन तुम्हारे चेहरे पर रंच मात्र थकान नहीं जबकि कुत्ता बुरी तरह से हांफ रहा है।

किसान ने कहा- मैं और कुत्ता एक ही रास्ते से घर आए हैं। मेरा खेत भी कोई खास दूर नहीं है। मैं थका नहीं हूं। मेरा कुत्ता थक गया है। इसका कारण यह है कि मैं सीधे रास्ते से चलकर घर आया हूं, मगर कुत्ता अपनी आदत से मजबूर है।

वह आसपास दूसरे कुत्ते देखकर उनको भगाने के लिए उसके पीछे दौड़ता था और भौंकता हुआ वापस मेरे पास आ जाता था। फिर जैसे ही उसे और कोई कुत्ता नजर आता, वह उसके पीछे दौड़ने लगता। अपनी आदत के अनुसार उसका यह क्रम रास्ते भर जारी रहा। इसलिए वह थक गया है।

देखा जाए तो यही स्थिति आज के इंसान की भी है।

जीवन के लक्ष्य तक पहुंचना यूं तो कठिन नहीं है, लेकिन राह में मिलने वाले कुत्ते, व्यक्ति को उसके जीवन की सीधी और सरल राह से भटका रहे हैं।

इंसान अपने लक्ष्य से भटक रहा है और यह भटकाव ही इंसान को थका रहा है। यह लक्ष्य प्राप्ति में सबसे बड़ी बाधा है। आपकी ऊर्जा को रास्ते में मिलने वाले कुत्ते बर्बाद करते हैं।

भौंकने दो इन कुत्तों को और लक्ष्य प्राप्ति की दिशा में सीधे बढ़ते रहो.. फिर एक ना एक दिन मंजिल मिल ही जाएगी। लेकिन इनके चक्कर में पड़ोगे तो थक ही जाओगे। अब ये आपको सोचना है कि किसान की तरह सीधी राह चलना है या उसके कुत्ते की तरह।

शिक्षा:-
सफलता के लिए सही समय की नहीं, सही निर्णय की जरूरत होती है।

प्रेम दुर्लभ है उसे पकड़ कर रखें, क्रोध बहुत खराब है, उसे दबाकर रखें। भय बहुत भयानक है, उसका सामना करें, स्मृतियाँ बहुत सुखद है उन्हें संजोकर रखें।

सदैव प्रसन्न रहिये - जो प्राप्त है, पर्याप्त है।
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4 months, 1 week ago

उम्रदराज न बनें
उम्र को दराज़ में रख दें।

खो जाएं ज़िन्दगी में,
मौत का इन्तज़ार  न करें

जिनको आना है आए,
जिसको जाना है जाए।
पर हमें जीना है।        
ये न भूल जाएं।

जिनसे मिलता है प्यार,
उनसे ही मिलें बार बार।

महफिलों का शौक रखें
दोस्तों से प्यार करें  
जो रिश्ते हमें समझ सकें,
उन रिश्तों की कद्र करें।

बंधें नहीं किसी से भी,
ना किसी को बँधने पर
मजबूर करें।

दिल से जोड़ें हर रिश्ता,  
और उन रिश्तों से दिल से जुड़े रहें।

हँसना अच्छा होता है
पर अपनों के लिये,
रोया भी करें।               

याद आएं कभी अपने तो,
आँखें अपनी नम भी करें।

ज़िन्दगी चार दिन की है,
तो फिर शिकवे शिकायतें
कम ही करें।                  

उम्र को दराज़ में रख दें
उम्रदराज़ न बनें !!

हमेशा मुस्कुराते रहिए ???

4 months, 1 week ago

"कुशल व धैर्यवान बने"

एक रेस्टोरेंट में कॉकरोच उड़कर आया और एक महिला पर बैठ गया. महिला कॉकरोच देखकर चिल्लाने लगी, वह डर चुकी थी. उसके चेहरे पर खौफ साफ़ दिखाई दे रहा था.

कांपते हुए होठो के साथ अपने दोनों हाथो की सहायता से कॉकरोच से पीछा छुड़ाना चाहती थी.

उसकी प्रतिक्रिया ऐसी थी कि उसके ग्रुप के बाकि लोग भी भयभीत हो गये.

उस महिला ने किसी तरह कॉकरोच को खुद से दूर किया लेकिन वो उड़ कर दूसरी महिला पर बैठ गया.

अब यह ड्रामा जारी रखने की बारी दूसरी महिला की थी.

उसे बचाने के लिए पास खड़ा वेटर आगे बढ़ा. तभी महिला ने कोशिश करते हुए कॉकरोच को भगाने की कोशिश की और वह सफल हुई, अब वह कॉकरोच उड़कर वेटर की शर्ट पर आकर बैठ गया.

लेकिन वेटर घबराने की बजाये शांत खड़ा रहा और कॉकरोच की हरकतों को अपने शर्ट पर देखता रहा.

जब कॉकरोच पूरी तरह शांत हो गया तो वेटर ने उसे अपनी उँगलियों से पकड़ा और उसे रेस्टोरेंट से बाहर फेंक दिया.

मैं कॉफ़ी पीते हुए ये मनोरंजक दृश्य देख रहा था तभी मेरे दीमाग में कुछ सवाल आये, क्या वह कॉकरोच इस घटना के लिए जिम्मेदार था?

अगर हाँ, तो वह वेटर परेशान क्यों नही हुआ? उसने बिना कोई शोर-शराबा किये परफेक्शन के साथ उस स्थिति को संभाल लिया. उस परिस्थिति का जिमेदार वो कॉकरोच नही था बल्कि उन लोगों की परिस्थिती को संभालने की अक्षमता थी, जिसने उन महिलाओं को परेशान किया.

मैंने महसूस किया कि मेरे पिता का या बॉस का या दुनिया का चिल्लाना मुझे परेशान नही करता है, बल्कि यह मेरी अक्षमता है जो में उन लोगों द्वारा बनाई की गयी परिस्थितियों को संभाल नही सकता.

मुशीबत यह ट्रैफिक जाम की नही है जो मुझे परेशान करती है बल्कि मेरी उस परेशानी भरी स्थिति को हैंडल ना कर पाने की अक्षमता है जिससे मैं ट्रैफिक जाम के वजह से परेशान हो जाता हूँ.

प्रॉब्लम से ज्यादा, मेरी उस प्रॉब्लम के प्रति प्रतिक्रिया है जो मेरे जीवन में परेशानी पैदा करती है.

इस घटना ने मेरे सोचने का तरीका बदल दिया, हमे अपने जीवन में कठिन समय में प्रतिक्रिया नही करनी चाहिए, बल्कि उसे समझकर उसका जवाब देना चाहिए उसका हल ढूंढना चाहिए. उस महिला ने प्रतिक्रिया व्यक्त की बल्कि वेटर ने उस परिस्थिती को समझा और उसका समाधान निकाला,

प्रतिक्रिया हम बिना सोचे समझे दे देते हैं जबकि जवाब हम सहज तरीके से सोच-समझ कर देते हैं.

जिंदगी को समझने का एक बहुत ही सुन्दर तरीका है. जो लोग खुश हैं वो इसलिए खुश नही हैं कि उनके जीवन में सबकुछ ठीक चल रहा है. बल्कि इसलिए खुश हैं कि उनका जीवन में सारी चीजों के प्रति दृष्टिकोण ठीक है.

इसीलिए जिंदगी में गुस्सा, जलन, जल्दबाजी और चिंता करने की बजाय प्यार करे और सब्र रखे

??

जो प्राप्त है-पर्याप्त है
जिसका मन मस्त है

7 months ago

!! लाभ और हानि !!
~~~~~~~~~~

एक गरीब आदमी बड़ी मेहनत से एक एक-एक रूपया जोड़ कर मकान बनवाता है। उस मकान को बनवाने के लिए वह पिछले बीस वर्षों से एक-एक पैसा बचत करता है ताकि उसका परिवार छोटे से झोपड़े से निकलकर पक्के मकान में सुखी से रह सके।

आखिरकार एक दिन मकान बन कर तैयार हो जाता है। तत्पश्चात पंडित से पूछ कर गृह प्रवेश के लिए शुभ दिन निश्चित की जाती है। लेकिन गृहप्रवेश के दो दिन पहले ही भूकंप आता है और उसका मकान पूरी तरह ध्वस्त हो जाता है। यह खबर जब उस आदमी को पता चलती है तो वह दौड़ा-दौड़ा बाजार जाता है और मिठाई खरीद कर ले आता है। मिठाई लेकर वह घटनास्थल पर पहुंचता है जहां पर काफी लोग इकट्ठे होकर उसके मकान गिरने पर अफसोस जाहिर कर रहे थे। ओह! बेचारे के साथ बहुत बुरा हुआ, कितनी मुश्किल से एक-एक पैसा जोड़कर मकान बनवाया था।

इसी प्रकार, लोग आपस में तरह-तरह की बातें कर रहे थे। वह आदमी वहां पहुंचता है और झोले से मिठाई निकाल कर सबको बांटने लगता है। यह देखकर सभी लोग हैरान हो जाते हैं। तभी उसका एक मित्र उससे कहता है, कहीं तुम पागल तो नहीं हो गए हो, तुम्हारा घर गिर गया, तुम्हारी जीवन भर की कमाई बर्बाद हो गई और तुम खुश होकर मिठाई बांट रहे हो। वह आदमी मुस्कुराते हुए कहता है, तुम इस घटना का सिर्फ नकारात्मक पक्ष देख रहे हो इसलिए इसका सकारात्मक पक्ष तुम्हें दिखाई नहीं दे रहा है। ये तो बहुत अच्छा हुआ कि मकान आज ही गिर गया। वरना तुम्हीं सोचो अगर यह मकान दो दिनों के बाद गिरता तो मैं, मेरी पत्नी और बच्चे सभी मारे जा सकते थे। तब कितना बड़ा नुकसान होता!

शिक्षा:-
मित्रों! सकारात्मक और नकारात्मक सोच में क्या अंतर है, यदि वह व्यक्ति नकारात्मक दृष्टिकोण से सोचता तो शायद वह नकारात्मकता का शिकार हो जाता, लेकिन केवल एक सोच के फर्क ने उसके दुःख को सुख में परिवर्तित कर दिया।

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